नयी दिल्ली,14 अक्टूबर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि मौसम विभाग ने राष्ट्रीय राजधानी के लिये एक अत्याधुनिक ‘हाई-रिजोल्युशन’ वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली शुरू की है। वहीं, देश के लिये एक अलग वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली को और बेहतर बनाया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली के लिये अत्यधिक क्षमता वाले ‘इनवायरन्मेंटल इनफॉरमेशन फ्यूजन सर्विस’ (इनफ्युजर) शुरू किया गया है, ताकि अत्यधिक वायु प्रदूषण वाले स्थानों (हॉटस्पॉट) और सड़कों की पहचान की जा सके।
भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के पर्यावरण निगरानी अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने कहा कि इस प्रणाली के जरिये प्रदूषण को बेहतर तरीके से मापा जा सकता है।
दिल्ली में करीब 40 वायु गुणवतता निगरानी प्रणाली हैं।
सोनी ने कहा, ‘‘हम पांच मीटर रिजोल्यूशन पर ट्रैफिक की भीड़ और 30 मीटर के रिजोल्यूशन पर भूमि उपयोग एवं भूमि पर (वाहनों की) मौजूदगी की निगरानी करेंगे। यह बेहतर पूर्वानुमान देगा।
देश के लिये वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली ‘सिस्टम फॉर इंटीग्रेटड मॉडलिंग ऑफ एटमॉसफेरिक कंपोजिशन’ (सिलम) को और अधिक बेहतर बनाया गया है। दस किमी के रिजोल्यूशन के लिये वैश्विक उत्सर्जन डेटासेट को लागू कर ऐसा किया गया है।
सोनी ने कहा, ‘‘यह पूर्वानुमान में अनिश्चितता को दूर करेगा। सर्वाधिक अनिश्चितता प्रदूषण के स्रोत से आती है...हम वास्तविक स्रोत नहीं जानते, अन्य अनिश्चितता मौसम विज्ञान से आती है।
सिलम और इनफ्युजर को फिनिश मौसम विज्ञान संस्थान (एफएमआई) के तकनीकी सहयोग से विकसित किया गया है।
इनफ्युजर की विशेषता में मापन डेटा का अत्यधिक रिजोल्युशन वाला होना शामिल है, जैसे कि वायु गुण्वत्ता का अवलोकन, सड़क नेटवर्क, भवन, भूमि उपयोग सूचना, अत्यधिक रिजोल्युशन वाली अंतरिक्ष से ली गई तस्वीरें, जमीन की ऊंचाई और आबादी के आंकड़ों का विस्तृत विवरण शामिल है।
अब वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर और वाराणसी के लिये भी दो किमी के रिजोल्यूशन पर वायु गुणवत्ता अनुमान मुहैया करेगी। कुछ अन्य शहरों के लिये यह 10 किमी की रिजोल्यूशन पर भी उपलब्ध होगी।
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