होशियारपुर/फगवाड़ा/कपूरथला, 15 अक्टूबर कुणाल सैनी को कनाडा में पढ़ाई का अपना सपना खटाई में पड़ता नजर आ रहा है, वहीं अरविंद शर्मा को डर है कि उन्हें कनाडा में अपने बेटे के पास जाने के लिए वीजा नहीं मिलेगा। दुकानदारों का कहना है कि भारतीय प्रवासियों के स्वदेश आने के मौसम में संभवत: उन्हें उतना मुनाफा न हो, जिसकी उन्हें उम्मीद है।
भारत और कनाडा के लगातार बिगड़ते रिश्तों से पंजाब के कई परिवारों की चिंताएं बढ़ गई हैं। दरअसल, पंजाब के लाखों परिवारों का कनाडा से गहरा नाता है। इनमें से कुछ के बच्चे या तो वहां पढ़ रहे हैं या दाखिला लेने के सपने देख रहे हैं। कई परिवारों के सदस्य बेहतर नौकरी और पैसों की चाह में कनाडा में ही बस गए हैं।
भारत ने सोमवार को छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और अपने उच्चायुक्त और अन्य अधिकारियों को कनाडा से वापस बुलाने की घोषणा की, जिन्हें वहां निशाना बनाया जा रहा है। नयी दिल्ली ने सिख चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से अपने राजनयिक को जोड़ने के ओटावा के आरोपों को सिरे से खारिज किया था।
भारत और कनाडा के बीच बढ़ते कूटनीतिक विवाद ने कई परिवारों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
कनाडा पढ़ाई और नौकरी के लिए बसने के लिहाज से पंजाब के लोगों के पसंदीदा देशों में से एक है।
दोआबा क्षेत्र-कपूरथला, जालंधर, होशियारपुर और शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर)-के बहुत से लोग विदेश में, मुख्यतः कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में बसे हुए हैं।
होशियारपुर के गौतम नगर निवासी कुणाल सैनी (21) ने ताजा घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए कहा कि कनाडा में पढ़ाई के उसके सपने पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं।
कुणाल की बहन कनिका सैनी तीन साल पहले छात्र वीजा पर कनाडा गई थी। वह अपने भाई को कनाडा में भारतीय छात्रों द्वारा झेली जा रही चुनौतियों के बारे में लगातार जानकारी दे रही है।
कनिका ने कुणाल को बताया कि कनाडा सरकार ने कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें छात्रों के लिए हर हफ्ते 20 घंटे की कार्य सीमा तय करना शामिल है। इससे खासतौर पर उन छात्रों पर असर पड़ा है, जो साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और कनाडा में रहने का खर्च उठाने के लिए काम करने को मजबूर हैं।
मौजूदा हालात को देखते हुए कुणाल ने कनाडा में पढ़ाई की अपनी योजना त्यागने और उच्च शिक्षा के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करने का फैसला किया है।
कनाडा सरकार ने इस साल सितंबर में साल 2025 के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वास्ते अध्ययन परमिट में कटौती की घोषणा की। उसने 2024 में 4.85 लाख नये अध्ययन परमिट के लक्ष्य से 10 प्रतिशत कम अध्ययन परमिट जारी करने का फैसला किया।
एक अनुमान के मुताबिक, पढ़ाई के लिए कनाडा का रुख करने वाले लगभग 70 प्रतिशत भारतीय छात्र पंजाब के होते हैं।
होशियारपुर के रेड रोड इलाके में रहने वाले अरविंद शर्मा ने कनाडा में भारतीयों के समक्ष उत्पन्न अनिश्चितता को लेकर फिक्र जाहिर की।
अरविंद शर्मा के बेटे गोपाल को कनाडा में स्थाई निवासी का दर्जा मिल चुका है और वह भी दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव से चिंतित है।
अरविंद शर्मा को डर है कि कूटनीतिक गतिरोध के कारण कनाडा और भारत, दोनों ही देशों में भारतीय के लिए अपने रिश्तेदारों के पास जाने के वास्ते वीजा हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।
होशियारपुर निवासी गुलशन बत्रा ने बताया कि उसकी बेटी सभ्य बत्रा इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स करने के लिए एक साल पहले अध्ययन परमिट पर कनाडा गई थी।
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की दुकान चलाने वाले गुलशन ने कहा कि सभ्य ने कनाडा की नीतियों में हाल-फिलहाल में आए बदलावों पर चिंता जताई है, जिसमें स्थायी निवास आवेदनों और अध्ययन परमिट में कटौती शामिल है।
कपूरथला निवासी ऋषिपाल, अमनदीप और मदन लाल के बच्चे भी अध्ययन परमिट पर कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं। इन तीनों ने बताया कि उनके बच्चों को कार्य परमिट को बढ़वाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि वे कनाडा में अपने बच्चों से मिलने के लिए आगंतुक वीजा भी नहीं हासिल कर पा रहे हैं।
कनाडा में पढ़ाई के इच्छुक फगवाड़ा के एक छात्र ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि दोनों देशों को आपसी सहमति से सभी विवाद सुलझा लेने चाहिए।
उसने कहा, “दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिरोध जारी रहने के मद्देनजर मैंने पढ़ाई के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार करना शुरू कर दिया है।”
फगवाड़ा के एक शोरूम मालिक ने कहा, “भारतीय प्रवासियों के स्वदेश आने का मौसम शुरू हो गया है। आभूषण विक्रेता, कपड़ा व्यवसायी और अन्य व्यापारी इस मौसम में अच्छी कमाई करते हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय पंजाब, खासकर दोआबा क्षेत्र की यात्रा करते हैं और जमकर खरीदारी करते हैं।”
उसने कहा, “हालांकि, भारत-कनाडा संबंधों में कड़वाहट से अनिश्चितता पैदा हुई है और संभव है कि कनाडा में रह रहे कई प्रवासी भारतीय इसके चलते भारत आने की अपनी योजना टाल दें, जिससे कारोबार प्रभावित होगा।”
कपूरथला के ट्रैवल एजेंट इंदरपाल सिंह ने बताया कि कनाडा में अपने बच्चों से मिलने के इच्छुक अभिभावकों को आगंतुक वीजा हासिल करने के लिए चार से छह महीने की प्रतीक्षा अवधि का सामना करना पड़ रहा है।
अमृतसर की ट्रैवल एजेंट प्रभजोत कौर ने आशंका जताई कि भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों से वीजा जारी करने की प्रक्रिया प्रभावित होगी।
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