Ajit Pawar Offered Prayers at Siddhivinayak Temple: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार को प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे समेत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेताओं के साथ मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन किए. पवार ने पत्रकारों को बताया कि आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान शुरू करने, पार्टी को मजबूत करने और विकास के एजेंडे के साथ लोगों के पास जाने के लिए भगवान का आशीर्वाद लेकर यह एक अच्छी शुरुआत है. उन्होंने बताया कि 14 जुलाई को पुणे जिले के बारामती में एक रैली आयोजित की जा रही है जिसमें राकांपा की भावी योजनाओं की घोषणा की जाएगी.
उपमुख्यमंत्री के साथ उनके बेटे पार्थ पवार, राकांपा सांसद सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल, विधायक अनिल पाटिल, धनंजय मुंडे, दिलीप वलसे पाटिल तथा पार्टी के अन्य विधायक मौजूद थे.
पवार तथा अन्य नेता मंत्रालय के समीप पार्टी कार्यालय से एक बस में सवार होकर मंदिर के लिए निकले. गौरतलब है कि 11 सीटों के लिए राज्य विधान परिषद चुनाव 12 जुलाई को होना है और राकांपा के दो उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के सभी नौ उम्मीदवार जीतेंगे, इस पर पवार ने कहा, ‘‘इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.’’ महायुति में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राकांपा शामिल हैं. यह भी पढ़ें: Rahul Gandhi’s Image On Temple Stairs: महाराष्ट्र में मंदिर की सीढ़ियों पर लगी राहुल गांधी की तस्वीर? सोशल मीडिया पर वायरल हुआ Video
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आज मुंबईत श्री. सिद्धिविनायकाचे दर्शन घेतले. सोबत सहकारी नेते, मंत्री, आमदार आणि अन्य मान्यवर उपस्थित होते. राज्यातील जनतेच्या कल्याणासाठी आणि विकासासाठी ही जनसेवा आमच्या हातून अशीच घडत राहो, यासाठी बाप्पाकडे साकडे घातले.
गणपती बाप्पा मोरया! pic.twitter.com/eZ6BOMW2Y6
— Ajit Pawar (@AjitPawarSpeaks) July 9, 2024
विधान परिषद की 11 सीटों पर चुनाव के लिए विपक्षी दलों के तीन उम्मीदवार सहित कुल 12 प्रत्याशी मैदान में हैं. विपक्षी राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने दावा किया कि अजित पवार नीत गुट के कई विधायक उसके संपर्क में हैं और वे राज्य का बजट पारित होने के बाद राकांपा संस्थापक शरद पवार के गुट में फिर से शामिल हो सकते हैं. पिछले साल जुलाई में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी जिससे राकांपा दो धड़ों में बंट गयी थी.
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