देश की खबरें | टोहाना में एसकेएम की महापंचायत, एनपीएफएएम का मसौदा खारिज किया

टोहाना (हरियाणा), चार जनवरी संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शनिवार को एनपीएफएएम के मसौदे को खारिज कर दिया और केंद्र से इसे तुरंत वापस लेने की मांग की।

एसकेएम ने कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा (एनपीएफएएम) के नव घोषित मसौदे को तीन निरस्त कृषि कानूनों की तुलना में "अधिक खतरनाक" करार दिया है।

एसकेएम के आह्वान पर टोहाना में शनिवार को महापंचायत आयोजित की गई।

मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा से आए किसान अनाज मंडी में एकत्र हुए। एसकेएम के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी महापंचायत में भाग लिया।

वक्ताओं ने खनौरी में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि अगर उन्हें कुछ हुआ, तो इसकी जिम्मेदारी केंद्र और हरियाणा सरकार की होगी।

टोहाना में महापंचायत को संबोधित करने वाले वरिष्ठ एसकेएम नेताओं में जोगिंदर सिंह उगराहां, राकेश टिकैत, डॉ. दर्शन पाल, पी कृष्ण प्रसाद, रमिंदर पटियाला, मंजीत सिंह धनेर, सुखदेव जम्मू, सुरेश कोथ, जोगिंदर नैन, रुलदू सिंह मनसा समेत अन्य शामिल थे।

इससे पहले, शुक्रवार को एसकेएम (जिसने निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ सालभर चले किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था) ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा पेश एनपीएफएएम को "निरस्त कृषि कानूनों से अधिक खतरनाक" बताया था।

शनिवार को टोहाना में महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने मसौदे को तुरंत वापस लेने की चेतावनी दी।

महापंचायत में एनपीएफएएम के मसौदे को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया और एक प्रस्ताव पारित कर सभी ग्राम पंचायतों से आग्रह किया गया कि वे इस अस्वीकृति को 10 जनवरी तक केंद्र सरकार को भेजें।

जोगिंदर सिंह उगराहां ने महापंचायत में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए दावा किया कि एनपीएफएएम लागू होने से अनाज का व्यापार कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा।

केंद्र की मसौदा नीति के बारे में उगराहां ने कहा, "कई लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि यह नीति क्या है। जब हम इसे लोगों के बीच ले जाएंगे, तो यह एमएसपी से भी बड़ा मुद्दा बन जाएगी। जब सरकारी मंडी व्यवस्था नहीं रहेगी, तो एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसे मिलेगा, खरीद की गारंटी कौन देगा, उपजाऊ जमीन भी कॉरपोरेट के पास चली जाएगी। इसलिए यह लड़ाई बड़ी है।"

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि एमएसपी और अन्य मांगों को लेकर अगले आंदोलन की योजना संयुक्त किसान मोर्चा के समक्ष पेश की जाएगी।

उन्होंने कहा कि किसानों का अगला आंदोलन दिल्ली के अंदर नहीं, बल्कि केएमपी (कुंडली-मानेसर पलवल एक्सप्रेसवे) पर होगा और इसका "पूरा खाका तैयार कर लिया गया है।"

टिकैत ने कहा कि 22 जनवरी 2021 के बाद केंद्र की तरफ से किसानों से कोई बातचीत नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ रही है और केंद्र को उनकी जान बचाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।

वरिष्ठ किसान नेताओं ने कहा कि 24 जनवरी को दिल्ली में राष्ट्रीय आम सभा की बैठक होगी।

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