Coaching Center Cases: कोचिंग सेंटर मामले की मजिस्ट्रेट जांच में MCD, अग्निशमन विभाग पर 'जानबूझकर' कदाचार का आरोप लगाया गया
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नयी दिल्ली, 8 अगस्त : दिल्ली स्थित एक कोचिंग सेंटर के ‘बेसमेंट’ में पानी भर जाने से यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन अभ्यर्थियों की मौत होने के मामले की मजिस्ट्रेट जांच में पता चला है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और अग्निशमन विभाग ने कई कानूनों का बदनीयत से उल्लंघन किया है. राजस्व मंत्री को बुधवार को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘ ‘राऊज आईएएस स्टडी सर्किल’ के मालिक और प्रबंधन भी छात्रों के जीवन की परवाह किए बिना ‘बेसमेंट’ का खतरनाक तरीके से दुरुपयोग कर आपराधिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं.’’ दिल्ली में 27 जुलाई को भारी बारिश के बाद ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में स्थित इस कोचिंग सेंटर की इमारत के ‘बेसमेंट’ में पानी भर जाने के कारण सिविल सेवा के तीन आकांक्षियों-उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन की डूबने से मौत हो गई थी.

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे ये विद्यार्थी बेसमेंट में बने पुस्तकालय में पढ़ाई कर रहे थे जिसमें पानी भर जाने से उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट से पता चला कि इमारत में ‘‘नियमों के उल्लंघन’’ की एमसीडी और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को पहले से जानकारी दी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. जिला मजिस्ट्रेट (मध्य) द्वारा की गई जांच से पता चला कि जिस इमारत में कोचिंग सेंटर संचालित किया जा रहा था, उसके पास ‘‘कार्यालय/व्यावसायिक’’ उपयोग की अनुमति थी, जिसके लिए आग संबंधी किसी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की आवश्यकता नहीं थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, इसके लिए अग्निशमन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी, क्योंकि इसका उपयोग "शैक्षणिक उद्देश्य" के लिए किया जा रहा था और इसकी ऊंचाई नौ मीटर से अधिक थी. यह भी पढ़ें : देश की खबरें | महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था को जापान, जर्मनी से आगे ले जाने के लिए काम करेंगे: राज्यपाल राधाकृष्णन

मुखर्जी नगर में एक कोचिंग संस्थान में चार अगस्त 2023 को आग लगने की घटना के बाद एमसीडी ने संपत्ति के ‘‘दुरुपयोग’’ का हवाला देते हुए एक नोटिस जारी किया था. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दुरुपयोग नोटिस जारी होने के बाद भी बेसमेंट को सील न करना, कारण बताओ नोटिस में इसका उल्लेख तक नहीं करना तथा दुरुपयोग की असल स्थिति के बारे में उपायुक्त को गुमराह करना, इससे एमसीडी के भवन विभाग के संबंधित इंजीनियरों की ओर से दुर्भावनापूर्ण इरादों के साथ जानबूझकर किया गया कदाचार प्रतीत होता है.’’