नयी दिल्ली, 22 दिसंबर संसद में व्यवधान के कारण कामकाज कम होने की पृष्ठभूमि में, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को सांसदों की जवाबदेही की वकालत की और कहा कि लोग सांसदों को यह सोचने पर मजबूर करें कि उन्हें संसद में क्यों भेजा गया।
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी लोकतंत्र की सफलता के लिए अभिव्यक्ति और संवाद दोनों बड़ी जिम्मेदारी के साथ-साथ चलने चाहिए।
राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने सांसदों के बीच जवाबदेही का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘कोई गलती न करें, मैं सांसदों का जिक्र कर रहा हूं। लोगों ने अव्यवस्था को व्यवस्था के रूप में लेना सीख लिया है।’’
आधिकारिक बयान के अनुसार, उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘लोग आपको (सांसदों) सोचने पर मजबूर करेंगे कि आप वहां (संसद) क्यों गए थे?’’
चौधरी चरण सिंह पुरस्कार, 2024 के विजेताओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि ग्रामीण विकास की रीढ़ है। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक कृषि का विकास नहीं होता, ग्रामीण परिदृश्य को बदला नहीं जा सकता। और जब तक ग्रामीण परिदृश्य नहीं बदलता, हम विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा नहीं कर सकते।’’
उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए लोगों की आय में आठ गुना वृद्धि होनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह एक ‘‘कठिन चुनौती’’ है।
धनखड़ ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
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