पटना, 24 नवंबर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (एएम) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस टिप्पणी के लिए रविवार को तीखी आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा है ‘‘वक्फ कानून का संविधान में कोई स्थान नहीं है।”
पटना में संगठन द्वारा आयोजित ‘‘संविधान बचाओ एवं राष्ट्रीय एकता’’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए मदनी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके आंध्र प्रदेश के समकक्ष चंद्रबाबू नायडू से वक्फ संशोधन विधेयक को पारित होने से रोकने का भी आग्रह किया। मोदी सरकार इस संशोधन विधेयक को संसद के अगले सत्र के दौरान पेश कर सकती है।
मदनी ने प्रधानमंत्री के ‘वक्फ कानून का संविधान में कोई स्थान नहीं है’ बयान पर हैरानी जताते हुए कहा कि कल वह यह भी कह सकते हैं कि नमाज, रोजा, हज और जकात का उल्लेख संविधान में कहीं नहीं है, इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें प्रधानमंत्री से इतने कमजोर बयान की उम्मीद नहीं थी, अगर उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता है तो वह संविधान के जानकार लोगों से इस बारे में जानकारी ले सकते थे।”
मदनी ने दावा किया कि वक्फ संपत्तियों को नष्ट करने और जब्त करने का रास्ता साफ करने वाला यह विधेयक अगर संसद में पेश किया गया तो जमीयत हिंदू, अन्य अल्पसंख्यकों और सभी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले लोगों के साथ मिलकर देश भर में इसका विरोध करेगी।
उन्होंने कहा कि मुसलमान कोई भी नुकसान बर्दाश्त कर सकता है लेकिन “शरीयत में कोई दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं कर सकता।”
मुस्लिम नेता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को पता होना चाहिए कि वक्फ इस्लाम का अभिन्न अंग है और इसका उल्लेख हदीस में मिलता है, जो हमारे पैगंबर द्वारा कहे गए शब्द हैं।”
मदनी ने कहा कि संविधान में देश के सभी अल्पसंख्यकों को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है और यह (वक्फ) इस धार्मिक स्वतंत्रता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
जमीयत प्रमुख ने कहा, “यह हमारा धार्मिक मामला है इसलिए इसकी रक्षा करना और इसे जीवित रखना हमारा धार्मिक कर्तव्य है।”
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी नीतीश और नायडू से आग्रह किया कि वे विधेयक का समर्थन न करें और कहा कि ऐसा करना ‘‘मुसलमानों की पीठ में छुरा घोंपने के समान होगा।’’
उन्होंने कहा, “ यह दोहरी राजनीति अब नहीं चल सकती कि आपको हमारा वोट मिले और सत्ता में आकर इस वोट का इस्तेमाल आप हमारे ही खिलाफ करें।”
लोकसभा में भाजपा के पास पूर्ण बहुमत नहीं है और इसे सत्ता में रहने के लिए नीतीश की जनता दल (यू) और नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) समेत अन्य दलों के समर्थन की जरूरत है।
मदनी ने भाजपा की कथित ‘नफरत की सियासत’’ और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के बयानों की निंदा की। शर्मा झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी थे।
उन्होंने कहा, ‘‘असम के मुख्यमंत्री ने झारखंड में मुसलमानों को घुसपैठिया करार दिया। उन्हें याद रखना चाहिए कि ज्यादातर मुसलमान भारतीय मूल के हैं। आप मुसलमानों में ब्राह्मण, त्यागी और राजपूत पा सकते हैं।’’
मदनी ने झारखंड में भाजपा की हार का जिक्र करते हुए कहा कि जो लोग नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें हार का सामना करना पड़ा तथा यह ऊपर वाले की कृपा है, इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन “हमें यह स्वीकार करना होगा कि हिंदू भी हमारे साथ खड़े दिखे।”
परोक्ष रूप से जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार का जिक्र करते हुए मदनी ने कहा, ‘‘राज्य की सत्तारूढ़ व्यवस्था वह बैसाखी है जिस पर केंद्र खड़ा है। राज्य में मौजूद शक्तियां दावा करती हैं कि वे मुसलमानों को प्रताड़ित नहीं होने देंगी। अगर वे खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं तो उन्हें इसपर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए । यदि वे विचलित होते हैं, तो मुस्लिम समुदाय को यह निर्णय लेना होगा कि उन पर और भरोसा किया जाए या नहीं।’’
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