लंदन, छह जुलाई (द कन्वरसेशन) कई देशों में आय और धन के बीच असमानता 1980 के दशक से बढ़ रही है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि विश्वभर में सर्वाधिक आय अर्जित करने वाले एक प्रतिशत लोग वैश्विक आय का 20 प्रतिशत अर्जित करते हैं।
यह असमानता केवल धन की नहीं है। समाज के शेष तबके के मुकाबले, अमीर लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में अधिक लाभ मिलता है। ऐसे लोगों का जीवन लंबा होता है। अमेरिका में शीर्ष एक प्रतिशत आय वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा बाकी लोगों से 15 साल अधिक होती है। इस वर्ग में उच्च शिक्षा प्राप्त और औसत से अधिक आय वाले लोग तथा नेता शामिल हैं।
उन पर अकसर ऐसे आरोप लगते हैं कि वे उनके जैसे नहीं होते जिनका वह प्रतिनिधित्व करते हैं और वे ऐसी नीतियां नहीं बनाते जिससे लोगों के दैनिक जीवन में सुधार आए। हाल में किये गए एक अध्ययन में हमने नेताओं और आम जनता के बीच मृत्यु दर में अंतर की जांच की और पाया कि नेताओं की जीवन प्रत्याशा उस जनसंख्या से अधिक है जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं।
हमने उच्च आय वाले 11 देशों- ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर अध्ययन किया। हमारा अध्ययन 57 हजार नेताओं पर आधारित था जिसमें ऐतिहासिक आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया। कुछ मामलों में हमने दो शताब्दी पुराने मामलों को आधार बनाया।
इन असमानताओं को मापने के लिए हमने हर नेता का उसके देश, आयु और लिंग के अनुसार आम जनता की मृत्यु दर के साथ मिलान किया। इसके बाद हमने हर साल मरने वाले नेताओं की संख्या की तुलना जनसंख्या के आधार पर मृत्यु दर से की।
हमने 45 साल की आयु के लिए नेताओं और जनता के बीच जीवन प्रत्याशा की भी गणना की। लगभग सभी देशों के लिए जनता और नेताओं के बीच मृत्यु दर, 19वीं और 20वीं शताब्दियों के लिए एक जैसी थी लेकिन 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक नेताओं की जीवन प्रत्याशा तेजी से बढ़ी।
इसका यह मतलब है कि हमने जिन देशों का अध्ययन किया था उनमें रहने वाले नेता आम जनता के मुकाबले ज्यादा दिनों तक जीवित रहे। अधिकांश देशों में, 45 वर्ष की आयु में नेताओं की शेष जीवन प्रत्याशा 40 साल के आसपास है। आय और दौलत के बीच बड़ा अंतर इसका एक कारण हो सकता है लेकिन यही एक वजह नहीं है। आय में असामनता 1980 के दशक में बढ़ने लगी।
इसके विपरीत नेताओं और जनता के बीच जीवन प्रत्याशा का अंतर 1940 के दशक से ही बढ़ रहा था। नेताओं की जीवन प्रत्याशा बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें स्वास्थ्य और जीवनशैली में अंतर-जैसे कि धूम्रपान और खानपान शामिल हैं। बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में सिगरेट लोकप्रिय थी और 1950 के दशक तक, सभी वर्गों के लोगों द्वारा धूम्रपान किया जाता था। परंतु अब ऐसा नहीं है।
तंबाकू पर प्रतिबंध के साथ लोक स्वास्थ्य के लिए उठाए गए कदमों के कारण धूम्रपान करने वालों की संख्या कम हुई है, विशेष रूप से नेता जैसे वर्ग के लोगों में। यह भी संभव है कि प्रचार के नए तरीकों (टेलीविजन और सोशल मीडिया) ने नेता बने लोगों में बदलाव ला दिया।
आमतौर पर महिलाओं की जीवन प्रत्याशा पुरुषों की तुलना में अधिक है। लेकिन ज्यादातर देशों में, महिला नेताओं से संबंधित आंकड़े 1960 के बाद ही उपलब्ध हो सके। हमने पाया कि नेताओं और आम लोगों के बीच जीवन प्रत्याशा अंतराल महिलाओं और पुरुषों के लिए समान था।
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