नयी दिल्ली, 16 अगस्त जम्मू स्थित केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण(कैट) में बुनियादी ढांचे की कमी के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने अधिकरण के न्यायिक सदस्य को जरूरतों पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है, ताकि इसके दैनिक कामकाज में बाधा न आए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सहायक कर्मचारियों की कमी के कारण अधिकरण का कामकाज प्रभावित हुआ है।
पीठ ने कहा, ‘‘क्योंकि पीठ की संरचना अब पूरी हो चुकी है, इसलिए हमारे पास इस बात पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है कि अधिकरण बिना किसी देरी के जम्मू में काम करना शुरू कर देगा।’’
इसने कहा, ‘‘हम अधिकरण की जम्मू पीठ के वरिष्ठतम/प्रभारी न्यायिक सदस्य से अनुरोध करना उचित समझते हैं कि वह एक स्थिति रिपोर्ट भेजें, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ अधिकरण की तात्कालिक अल्पकालिक आवश्यकताओं का उल्लेख हो, ताकि इसके दिन-प्रतिदिन के कामकाज में किसी भी तरह की बाधा न आए।’’
पीठ ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह अधिकरण के वरिष्ठतम न्यायिक सदस्य को आदेश ई-मेल करें तथा उनसे फोन पर भी संपर्क करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वांछित रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर उच्चतम न्यायालय को भेज दी जाए।
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के संपदा विभाग ने अधिकरण की जम्मू पीठ के लिए चार निजी भवनों की उपलब्धता पर विचार किया है।
अदालत ने कहा, ‘‘इसके बाद चन्नी (जम्मू) में स्थित एक इमारत को चुना गया। उक्त परिसर को जम्मू में अधिकरण की पीठ ने मंजूरी दे दी है। हलफनामे के अनुसार, दो अदालत कक्ष और सदस्यों के लिए चार चैंबर, कार्यालय और कर्मचारियों के कमरे पूरे हो चुके हैं और उक्त नए परिसर में अन्य सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं।’’
उच्चतम न्यायालय जम्मू-कश्मीर में कैट सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में अधिवक्ता अचल शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
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