तिरुवनंतपुरम, दो जनवरी केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने बृहस्पतिवार को सरकार के स्वामित्व वाले केरल वित्तीय निगम (केएफसी) पर ‘‘गंभीर भ्रष्टाचार’’ का आरोप लगाया और कहा कि वित्तीय समस्याओं से जूझ रही रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) में निवेश कर सरकारी खजाने को 101 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने में निगम की कथित संलिप्तता की जांच की जानी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि केएफसी ने अनिल अंबानी द्वारा प्रवर्तित आरसीएफएल में ‘‘अवैध और संदिग्ध रूप से’’ 60.8 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
उन्होंने दावा किया कि छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को ऋण प्रदान करने के लिए राज्य वित्तीय निगम अधिनियम, 1951 के तहत स्थापित केएफसी ने 26 अप्रैल 2018 को राज्य के उद्योगों के लिए निर्धारित धन को आरसीएफएल में अंतरित कर दिया था।
पूर्व वित्त मंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता टीएम थॉमस इसाक ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा, “नेता प्रतिपक्ष को अपने दावों का समर्थन करने के लिए सबूत पेश करने चाहिए।”
राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने भी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि 2018 में किया गया निवेश कानून के अनुसार था।
सतीशन ने आरोप लगाया कि केएफसी ने आरसीएफएल में निवेश कर कानून का उल्लंघन किया क्योंकि उसे केवल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अनुमोदित या राष्ट्रीयकृत बैंकों में ही निवेश करने की अनुमति है।
उन्होंने मामले में गहन जांच की मांग की।
वहीं, बालगोपाल ने कहा कि व्यवसाय में लाभ और हानि दोनों शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि केएफसी ने एक ऐसी कंपनी में निवेश किया था, जिसे केनरा बैंक, नाबार्ड और यूनियन बैंक जैसे प्रमुख बैंकों से भी निवेश प्राप्त हुआ था।
बालगोपाल ने कहा, “कहीं कोई चूक नहीं हुई और केएफसी केंद्रीय कानूनों के अनुपालन में काम करता है।”
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