तिरुवनंतपुरम, 5 नवंबर : विपक्ष की आलोचना के बावजूद केरल सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह राज्य की गंभीर वित्तीय स्थिति के कारण ईंधन पर कर को खत्म नहीं कर सकती है. राज्य के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब कई अन्य राज्यों ने कोविड-19 अवधि के दौरान ईंधन कर में वृद्धि की और उपकर की शुरुआत की तब केरल ने आम लोगों की परेशानी को देखते हुए ऐसा नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाया कि विभिन्न राज्यों में हाल के उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लगे झटके के कारण केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने का फैसला किया. ईंधन पर अतिरिक्त कर में कटौती नहीं करने के राज्य के फैसले को सही ठहराते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि केरल ने पिछले छह वर्षों से पेट्रोल और डीजल पर राज्य कर में वृद्धि नहीं की है बल्कि एक बार कमी ही की गई थी.
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोविड-19 महामारी और हाल की आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए कई वित्तीय राहत पैकेज भी शुरू किए हैं तथा महंगाई भत्ते में छह प्रतिशत की वृद्धि की है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य द्वारा पेट्रोल और डीजल के लिए लागू कर ढांचे अलग-अलग हैं. उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार अपने कर या ईंधन की मूल कीमत को कम करती है तो यह स्वाभाविक रूप से राज्य कर में दिखाई देगी क्योंकि वहां भी आनुपातिक कमी होगी. बालगोपाल ने कहा, ‘‘इसलिए, राज्य को फिर से कर कम करने की आवश्यकता नहीं है...जब केंद्र डीजल और पेट्रोल के लिए अपने कर में क्रमशः 10 रुपये और पांच रुपये की कमी करता है तो केरल में यह वास्तव में 12.30 रुपये और 6.56 रुपये कम हो गया है.’’ यह भी पढ़ें : Lucknow Pollution: लखनऊ में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से मार्निंग वॉक करने वाले परेशान
उन्होंने दावा किया कि इसमें से अतिरिक्त 2.30 रुपये और 1.56 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल राज्य के खाते में थे और इसलिए यह कहना तथ्यात्मक रूप से गलत है कि केरल ने कर कम नहीं किया है. कर कटौती की मांग करने वाले विपक्षी गठबंधन कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की आलोचना करते हुए बालगोपाल ने कहा कि ओमन चांडी की पूर्ववर्ती सरकार ने कर में 13 गुना वृद्धि की थी. विपक्षी कांग्रेस और भाजपा द्वारा केंद्र की तर्ज पर ईंधन पर कर कम नहीं करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना के बाद मंत्री का स्पष्टीकरण आया है.