अलाप्पुझा, (केरल), 28 नवंबर केरल में एक नवजात शिशु में आनुवंशिक विकृतियों का कथित तौर पर पता नहीं लगाने को लेकर चार चिकित्सकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अलाप्पुझा दक्षिण पुलिस के अनुसार, जिन चिकित्सकों पर आरोप लगाया गया है उनमें अलाप्पुझा में कडप्पुरम सरकारी महिला एवं बाल अस्पताल की दो महिला चिकित्सक और निजी जांच प्रयोगशाला के दो चिकित्सक शामिल हैं।
पुलिस ने अलाप्पुझा के एक दंपति अनीश और सुरुमी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर मंगलवार को एक प्राथमिकी दर्ज की।
उन्होंने आरोप लगाया कि चिकित्सक प्रसवपूर्व जांच के दौरान आनुवंशिक विकृतियों का पता लगाने में विफल रहे और इसके बजाय उन्हें आश्वासन दिया कि रिपोर्ट सामान्य है।
शिकायत के अनुसार, दंपति ने यह भी दावा किया कि उन्हें प्रसव के चार दिन बाद ही बच्चा दिखाया गया।
प्राथमिकी में कहा गया कि सुरुमी को प्रसव के लिए कडप्पुरम महिला एवं बाल अस्पताल में 30 अक्टूबर को भर्ती कराया गया था। इसमें कहा गया कि हालांकि, भ्रूण की हरकत और धड़कन नहीं होने का हवाला देते हुए उसे अलाप्पुझा के वंदनम में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एमसीएच) में रेफर कर दिया गया।
प्राथमिकी में कहा गया कि एमसीएच में आठ नवंबर को सर्जरी के बाद बच्चे का जन्म हुआ और उसमें गंभीर आंतरिक और बाहरी विकृतियां पाई गईं।
इस बीच, आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए आरोपी चिकित्सकों में से एक ने कहा कि उसने सुरुमी का इलाज केवल गर्भावस्था के शुरुआती माह के दौरान किया था।
उसने कहा, ‘‘मैंने गर्भावस्था के शुरुआती तीन माह तक उसकी देखभाल की। मुझे दिखाई गई रिपोर्ट में भ्रूण के विकास में समस्याएं बताई गई थीं।’’
हालांकि, जांच प्रयोगशाला से जुड़े चिकित्सकों ने कहा कि रिपोर्ट में कोई गलती नहीं है।
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 125 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना), 125 (बी) (जहां गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया।
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