देहरादून, 27 अक्टूबर उत्तराखंड में रिक्त हुई केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने रविवार को पूर्व विधायक मनोज रावत पर भरोसा जताते हुए उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रावत की उम्मीदवारी को अपनी मंजूरी दे दी है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक शैलारानी रावत के निधन से रिक्त हुई इस सीट के लिए अभी सत्ताधारी भाजपा ने अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है।
वर्ष 2017 में केदारनाथ सीट से पहली बार विधायक बने रावत को 2022 के विधानसभा चुनावों में तीसरे स्थान पर रहना पड़ा था। रावत ने पत्रकारिता के क्षेत्र से राजनीति में कदम रखा है।
उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि 29 अक्टूबर है जबकि 30 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी एवं नाम वापस लेने की अंतिम तिथि चार नवंबर है।
केदारनाथ विधानसभा सीट के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना की जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए 173 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि विधानसभा क्षेत्र में 90,540 मतदाता हैं जिसमें 45,775 महिला मतदाता शामिल हैं।
यह उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है जिसे वे हाथ से नहीं जाने देना चाहते। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 5-0 से पटखनी देने के बाद प्रदेश में हुए दो विधानसभा उपचुनाव—बदरीनाथ और मंगलौर में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था जिसे देखते हुए पार्टी इस बार कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती।
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और पार्टी मामलों के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता लगातार जनता के बीच में सक्रिय हैं।
उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा जनता के लिए किए गए कार्यों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व एवं उनके मार्गदर्शन के प्रति जनता के लगातार बढ़ते विश्वास की बदौलत केदारनाथ में भाजपा बड़ी जीत हासिल करेगी।
दूसरी तरफ, कांग्रेस पिछले विधानसभा उपचुनावों में मिले विजयी प्रदर्शन को जारी रखने के लिए जुट गयी है। पिछले माह कांग्रेस द्वारा निकाली गयी केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा को भी क्षेत्र में अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी।
उपचुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस में सामने आई गुटबाजी से निपटने की चुनौती एक बार फिर उसके सामने खड़ी है।
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