कोरोना संकट में ‘जियो फेंसिंग’ से सुनिश्चित हो रहा स्मार्ट सिटी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
Coronavirus in India | Representational Image | (Photo Credits: IANS)

अप्रैल स्मार्ट सिटी परियोजना (Smart Cities Mission) में शामिल देश के दर्जन भर से अधिक शहर कोरोना वायरस (Corona Virus) संकट के खिलाफ जारी जंग में कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) द्वारा अब तक चिकित्सा सहायता में स्वास्थ्य महकमे की मदद कर रहे थे. अब इन शहरों में लॉकडाउन के दौरान भीड़ जुटने से रोकने के लिये एआई द्वारा ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का भी पालन सुनिश्चित किया जाने लगा है.

आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की स्मार्ट सिटी परियोजना के हिस्सेदार शहरों में अपराध और हादसों पर निगरानी के लिये एआई आधारित जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, अब वही तकनीक कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने और संदिग्ध मरीजों की निगरानी में मददगार बन रही है.

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मंत्रालय द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबिक स्मार्ट सिटी के तहत स्थापित किये गये ‘इंटीग्रेटिड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) द्वारा शहर में भीड़ एकत्र होने से रोकने के लिये ‘जियो फेंसिंग’ का सहारा लिया जा रहा है. मंत्रालय के अनुसार भोपाल, कानपुर, मंगलुरु और चेन्नई सहित 16 शहरों में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत संचालित आईसीसीसी से जीपीएस की मदद से संदिग्ध मरीजों की निगरानी करने, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चिन्हित हॉट स्पॉट इलाकों में हीट मैपिंग की मदद से लॉकडाउन का पालन कराने और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति वाले स्थानों में जियो फेंसिंग की सहायता से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है.

स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि आईसीसीसी के साथ स्थानीय प्रशासन, पुलिस और चिकित्सा विभाग का आपसी सामंजस्य कायम कर कोरोना के खिलाफ जंग को तकनीकी मदद से आसान बनाया जा रहा है. इस दिशा में मध्य प्रदेश के सर्वाधिक छह स्मार्ट सिटी (भोपाल, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर, सतना और सागर) के अलावा उत्तर प्रदेश में कानपुर, अलीगढ़ एवं वाराणसी के अलावा तमिलनाडु में चेन्नई और वेल्लोर, महाराष्ट्र में नागपुर, कर्नाटक में मंगलूरु, गुजरात में गांधीनगर, राजस्थान में कोटा और पश्चिम बंगाल में न्यू टाउन कोलकाता में लॉकडाउन के दौरान लोगों तक चिकित्सा सुविधाओं की पहुंच को स्मार्ट सिटी की तकनीकि की मदद से आसान बना दिया है.

मंत्रालय के अनुसार इन शहरों में किसी ने मोबाइल एप तो किसी ने हेल्पलाइन द्वारा टेलीमेडिसिन की मदद से डाक्टरों की मरीजों तक ऑनलाइन पहुंच बना दी है. मसलन, वेल्लोर में विभिन्न स्थानों पर रखे गये कोरोना के 118 संदिग्ध मरीजों की स्मार्ट सिटी के नियंत्रण कक्ष से मैपिंग के जरिये न सिर्फ एक साथ सतत निगरानी की जा रही है बल्कि टेलीमेडिसिन द्वारा सभी संदिग्ध मरीजों को उनके चिकित्सकों द्वारा चिकित्सा परामर्श भी दिया जा रहा है.

अधिकारी ने बताया कि इन शहरों में संदिग्ध मरीजों के संपर्क में आये लोगों की पहचान करने और इन तक पहुंचने में भी स्थानीय प्रशासन को आईसीसीसी तकनीकी सहयोग दे रहा है. इन शहरों में लॉकडाउन संबंधी स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के तहत भीड़ एकत्र होने से रोकने और लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने में ‘जियो फेंसिंग’ तकनीकि की मदद ली जा रही है.

इसके तहत शहर के चप्पे चप्पे पर निगरानी के लिये पहले से ही जीपीएस का इस्तेमाल हो रहा था, अब इसकी मदद से पुलिस को जरूरत से ज्यादा आवाजाही वाले इलाकों की तत्काल सूचना दी जाती है. खासकर, स्वास्थ्य महकमे द्वारा चिन्हित किये गये हॉटस्पॉट इलाकों में हर पल निगरानी की जा रही है.

इसके अलावा कुछ स्मार्ट सिटी में कोरोना संबंधी स्वच्छता मानकों को पूरा करने के लिये ड्रोन से विभिन्न इलाकों को सेनिटाइज करने और गंदगी की शिकायत मिलने पर स्थानीय निकायों को सूचित कर इसका समाधान किया जा रहा है.

उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी परियोजना में देश के सौ शहरों को शामिल कर इनमें एआई आधारित तकनीक की मदद से नागरिक सुविधाओं को उन्नत किया जा रहा है. मंत्रालय ने इस परियोजना के भागीदार सभी शहरों में स्थापित आईसीसीसी को कोरोना संकट के खिलाफ अभियान में स्थानीय प्रशासन को हरसंभव तकनीकी मदद देने का निर्देश दिया है.

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