Israel Hamas War: इजराइली विमानों ने गाजा के शरणार्थी शिविर पर हमला किया, 33 लोगों की मौत
Israel-Hamas War

अमेरिका ने आम नागरिकों को राहत देने के लिए इजराइल से कुछ देर के लिए हमले रोकने की अपील की थी, लेकिन इजराइल का कहना है कि वह गाजा में हमास शासकों को कुचलने के लिए अपने हमले जारी रखेगा. फ्रांस की राजधानी पेरिस, जर्मनी की राजधानी बर्लिन और अन्य यूरोपीय शहरों में फलस्तीनी समर्थक हजारों लोगों ने गाजा में इजराइली बमबारी रोकने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शन इजराइल-हमास युद्ध में हताहत हुए लोगों की बढ़ती संख्या और गहराते मानवीय संकट को लेकर यूरोप के खासकर उन देशों में बढ़ रहे असंतोष को दर्शाते हैं, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने क्षेत्र के अपने हालिया दौरे में मानवीय मदद पहुंचाने के लिए कुछ देर के लिए हमले रोकने का प्रस्ताव रखा था, जिसे इजराइल से अस्वीकार कर दिया है.

इजराइल के रक्षा मंत्री याओव गैलेंट ने कहा, ‘‘गाजा सिटी में रह रहा हर व्यक्ति अपनी जान को खतरे में डाल रहा है.’’ गाजा में हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजराइल-हमास युद्ध में मारे गए फलस्तीनियों की संख्या बढ़कर 9,448 हो गई है. इजराइल में 1,400 से अधिक लोगों की मौत हुई है. इनमें से अधिकतर लोगों की मौत सात अक्टूबर को हमास के शुरुआती हमले में हुई. इसी हमले के बाद से यह युद्ध शुरू हुआ है. स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ अल-किद्रा ने कहा कि रविवार तड़के मध्य गाजा के मघाजी शरणार्थी शिविर पर हुए हवाई हमले में कम से कम 33 लोग मारे गए और 42 लोग घायल हो गए. यह शिविर उस निकासी क्षेत्र में स्थित है जहां इजराइल की सेना ने गाजा में फलस्तीनी नागरिकों से शरण लेने का आग्रह किया था क्योंकि वह उत्तरी क्षेत्रों में अपने सैन्य आक्रमण पर ध्यान केंद्रित कर रही है. यह भी पढ़ें : India-Canada Row: आतंकी पन्नू की धमकी के बाद भारत ने कनाडा से एयर इंडिया उड़ानों की सुरक्षा बढ़ाने को कहा

इस अपील के बावजूद, हमास के लड़ाकों और उनकी संपत्तियों को नष्ट करने के लक्ष्य से इजराइल ने पूरे गाजा में अपनी बमबारी जारी रखी है. इजराइल ने हमास पर आम नागरिकों का मानवीय ढाल के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. इजराइल-हमास युद्ध में हजारों फलस्तीनी नागरिकों की मौत की निंदा कर रहे अरब नेताओं ने शनिवार को तत्काल संघर्षविराम पर जोर दिया जबकि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आगाह किया कि ऐसा कदम प्रतिकूल होगा तथा इससे आतंकवादी समूह को और हिंसा करने का बढ़ावा मिलेगा.