करीम खान ने हेग स्थित अदालत के अधिकार क्षेत्र पर इजराइल की अपील पर सोमवार देर रात अपनी औपचारिक प्रतिक्रिया प्रस्तुत की।
यह मामला न्यायाधीशों द्वारा गाजा में युद्ध को लेकर मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप में पिछले साल इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, उनके पूर्व रक्षा मंत्री और हमास के सैन्य प्रमुख के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी जाने से संबंधित है।
नेतन्याहू ने गिरफ्तारी वारंट को ‘‘राष्ट्रों के इतिहास में एक काला दिन’’ कहा और आरोपों का सामना करने का संकल्प लिया।
व्यक्ति सीधे गिरफ्तारी वारंट का विरोध नहीं कर सकते, लेकिन देश के रूप में इजराइल पूरी जांच पर आपत्ति कर सकता है। इजराइल ने दिसंबर में कहा था कि वह अपने नेताओं के खिलाफ आरोपों की जांच खुद कर सकता है और इजराइलियों के खिलाफ जांच जारी रखना देश की संप्रभुता का उल्लंघन है।
आईसीसी की स्थापना 2002 में दुनिया के सबसे जघन्य अत्याचारों- युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध, नरसंहार और आक्रामकता के अपराध के जिम्मेदार व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए अंतिम उपाय की स्थायी अदालत के रूप में की गई थी।
अदालत के 125 सदस्य देशों में फलस्तीन, यूक्रेन, कनाडा और यूरोपीय संघ के सभी देश शामिल हैं, लेकिन इजराइल, अमेरिका, रूस और चीन सहित दर्जनों देश अदालत के क्षेत्राधिकार को स्वीकार नहीं करते हैं।
खान ने 55 पन्नों की प्रतिक्रिया में कहा कि आईसीसी की स्थापना से जुड़ी संधि इसे सदस्य देशों के क्षेत्र में होने वाले अपराधों पर मुकदमा चलाने की अनुमति देती है, भले ही अपराधी कहीं से भी हों।
आने वाले महीनों में न्यायाधीशों के निर्णय देने की उम्मीद है।
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