देश की खबरें | केरल में इंडोसल्फान के पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्देश, मुख्य सचिव को बैठक का निर्देश

नयी दिल्ली, 13 मई उच्चतम न्यायालय ने कीटनाशक इंडोसल्फान के प्रत्येक पीड़ित को पांच-पांच लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान न करने को लेकर शुक्रवार को केरल सरकार की खिंचाई की तथा उनलोगों को आवश्यक चिकित्सा सहायता सुनिश्चत करने के लिए मासिक बैठक आयोजित करने का राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया।

काजू, कपास, चाय की फसलों और फलों में 2011 तक इंडोसल्फान का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता था, लेकिन मानव जाति पर इसके दुष्प्रभावों के मद्देनजर उसके बाद इस कीटनाशक का उत्पादन और वितरण बंद कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने आठ पीड़ितों की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार तब तक आदेश पर अमल नहीं करती जब तक अवमानना याचिका दायर नहीं हो जाती।

पीठ ने कहा, ‘‘आज तक पांच लाख रुपये केवल उन्हीं आठ लोगों को दिये गये हैं, जिन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। हम राज्य सरकार के उस औचित्य को समझने में नाकाम हैं कि जिनके पास अदालत जाने के लिए संसाधन होता है, उसी को वह मुआवजा देती है।’’

न्यायालय ने कहा कि आदेश पारित किये पांच साल हो जाने के बाद भी बड़ी संख्या में ऐसे पीड़ित हैं जिन्हें आज तक मुआवजे का भुगतान नहीं किया जा सका है। अदालत ने इस बात का संज्ञान लिया कि 3700 से अधिक पीड़ित हैं। पीठ ने कहा, ‘‘ये पीड़ित समाज के हाशिये के समुदाय से हैं और इनकी स्थिति दयनीय है, जिन्हें अनिवार्यता के आधार पर मुआवजा दिया जाना है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने 15 जनवरी को ऐसे पीड़ितों को मुआवजे के तौर पर 200 करोड़ रुपये वितरित करने का निर्णय लिया था।

पीठ ने कहा कि यदि राज्य सरकार ऐसे लोगों के लिए एक भी अस्पताल नहीं चला सकती तो वह किसी और को सौंप दे, जो इसे चला सकें। इसने कहा, ‘‘राज्य सरकार क्या कर रही है। आठ पीड़ितों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया तब जाकर उन्हें मुआवजा दिया गया है। आप तब तक कदम नहीं उठाते जब तक अवमानना याचिका दायर नहीं होती। आप खुद से ऐसा क्यों नहीं करते?’’

न्यायालय ने राज्य सरकार को इन आठ पीड़ितों में से प्रत्येक को लागत के तौर पर 50 हजार रुपये देने का निर्देश दिया और कहा कि मुख्य सचिव आदेश पर अमल के लिए प्रत्येक माह बैठक करेंगे।

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