देश की खबरें | 'नट-बोल्ट' तक सीमित स्वदेशीकरण का कोई अर्थ नहींः उपराष्ट्रपति धनखड़

बेंगलुरु, 11 जनवरी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जमीनी हकीकत को बदलने में सक्षम प्रामाणिक और व्यावहारिक शोध का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि ऐसे स्वदेशीकरण का कोई अर्थ नहीं है जोकि 'नट-बोल्ट' तक सीमित हो। उन्होंने कहा कि स्वदेशीकरण का हमारा लक्ष्य 100 प्रतिशत पूर्णता होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने नवाचार और अनुसंधान में जुटने की भावना पर जोर देते हुए कहा कि इसे स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति यहां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के अनुसंधान एवं विकास पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे जिसमें कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, बीईएल के सीएमडी मनोज जैन सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

धनखड़ ने कहा, ‘‘वैश्विक परिप्रेक्ष्य में यदि आप देखें, तो हमारा पेटेंट योगदान वांछित स्तर से बहुत पीछे है। जब शोध की बात आती है, तो शोध प्रामाणिक होना चाहिए। शोध अत्याधुनिक होना चाहिए। शोध व्यावहारिक होना चाहिए। शोध से जमीनी हकीकत बदलनी होगी। ऐसे शोध का कोई फायदा नहीं है जो सतही रेखाचित्र से थोड़ा आगे तक जाता हो। आपका शोध उस बदलाव से मेल खाना चाहिए जो आप लाना चाहते हैं।’’

उन्होंने कहा कि प्रामाणिक शोध को ही शोध के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए और अनुसंधान की अनदेखी करने वालों के लिए मानक कड़े होने चाहिए।

धनखड़ ने कहा कि आपका ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ बेहद प्रभावशाली है, लेकिन जब पूरा देश प्रत्याशा के मूड में है तो वह और अधिक की उम्मीद करता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने सम्मान के लिए पिछली उपलब्धियों पर नहीं निर्भर रह सकते।’’

विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने में अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, जब पेटेंट के माध्यम से देश के योगदान की बात आती है, तो यह उन क्षेत्रों में नहीं है जहां हम योगदान दे रहे हैं। हमारी उपस्थिति बहुत कम है।’’

उन्होंने कहा, ''हम मानवता का छठा हिस्सा हैं। हमारी प्रतिभा हमें व्यापक स्तर पर भागीदारी करने की अनुमति देती है और इसके लिए, प्रबंधकीय पद पर, प्रशासन के पद पर बैठे प्रत्येक व्यक्ति को पहल करनी होगी। यह आवश्यक है, क्योंकि जब हम अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देंगे तभी हम वैश्विक समुदाय में एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर सकेंगे। आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना इसी में निहित है।''

उपराष्ट्रपति ने इस बात की तरफ भी इंगित किया कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अनुसंधान और विकास में कॉरपोरेट के योगदान की बात आती है तो देश को शायद ही कभी गिना जाता है। धनखड़ ने कहा कि विभिन्न कॉरपोरेट की कल्पना प्रबुद्ध प्रबंधकीय कौशल से की जाती है, लेकिन उन्हें एक मंच पर जुटना चाहिए और इसे एक मिशन बनाना चाहिए जिससे अनुसंधान और विकास में बड़ी छलांग लगेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसके प्रति जुनूनी होना होगा।’’

धनखड़ ने बीईएल से सेमीकंडक्टर क्रांति का नेतृत्व करने और क्षेत्र में स्टार्टअप की मदद करने का आह्वान किया।

स्वदेशीकरण पर धनखड़ ने कहा कि उन्हें स्वदेशी इकाई को देखने का अवसर मिला है और यह एक सुनहरा अवसर था और हमारे पास ऐसे उपकरण हैं जो अत्यधिक स्वदेशी हैं।

धनखड़ ने कहा, ''लेकिन देखिये, क्या हमारे पास इंजन है? क्या हमारे पास मूल सामग्री है? क्या हममें वह सब है जो दूसरे लोग हमसे देखना चाहते हैं? या फिर हम इसे सामान्य तत्वों तक सीमित कर रहे हैं? जब बात नट-बोल्ट की आती है तो स्थानीय होने से संतुष्ट होने का कोई मतलब नहीं है। स्वदेशीकरण का हमारा लक्ष्य 100 प्रतिशत पूर्णता होना चाहिए।"

इसके अलावा स्कूलों और कॉलेजों में नवाचार की भावना को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में प्रतिभा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे युवा अब भी अवसरों के विशाल भंडार के बारे में नहीं जानते हैं। वे सरकारी नौकरियों के लिए लंबी कतारों में लगे रहते हैं। शुक्र है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक बड़ा बदलाव लायी है। बेहतरी के लिए बदलाव यह है कि हम डिग्री से दूर हो रहे हैं। हम कौशल-उन्मुख हो रहे हैं।’’

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