नयी दिल्ली, 19 सितंबर भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह जोखिम वाले गैर-लाभकारी संगठनों से निपटने के लिए बारीक नजर रखेगा।
यह मुद्दा वैश्विक अपराध निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने अपनी रिपोर्ट में उठाया है। हालांकि, रिपोर्ट में आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लांड्रिंग से निपटने के प्रयासों की सराहना की गयी है।
वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (राजस्व) विवेक अग्रवाल ने कहा कि भारत ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल के छह मामलों में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसमें जोखिम, नीति और समन्वय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, वित्तीय आसूचना, जब्ती तथा वित्तपोषण का प्रसार शामिल हैं।
गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) के दुरुपयोग और आतंकवाद को वित्तपोषण प्रतिबंधों के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग तथा आतंकवाद वित्तपोषण मामलों के अभियोजन सहित पांच अन्य मापदंडों पर भारत को मध्यम रेटिंग मिली है।
अग्रवाल ने आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए गैर-लाभकारी संगठनों के दुरुपयोग के संबंध में कहा कि भारत में एनपीओ के दुरुपयोग की गुंजाइश बहुत कम है क्योंकि नकद चंदे पर एक सीमा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह मामला बनाने की कोशिश कर रहे थे कि नियामकीय ढांचा बेहतर है... उनका मामला यह है कि चूंकि गैर-लाभकारी संगठनों का क्षेत्र बहुत बड़ा है, हमारे पास अच्छे जोखिम-आधारित उपाय होने चाहिए... हमें जोखिम वाले एनपीओ की पहचान करने के लिए अधिक सख्त दृष्टिकोण का कोई मामला नजर नहीं आता है।’’
अग्रवाल ने कहा कि भारत के प्रयास गैर-लाभकारी संगठनों के साथ बेहतर पहुंच बनाने की दिशा में हैं ताकि उन्हें अपने खाते और चंदा देने वालों की सूची बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके तथा गड़बड़ियों की आशंका कम से कम हो।
अग्रवाल ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद से लगातार आतंकवाद के प्रभाव को झेला है और इस खतरे से निपटने के लिए कदम उठा रहा है।
एफएटीएफ भारत की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट में भारत को ‘नियमित तौर पर जानकारी जुटाने की श्रेणी’ में अद्यतन किया है। इसमें कहा गया है कि आतंकवाद के खतरों के केंद्र हैं इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (आईएसआईएल), अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी समूह, व्यक्तियों का कट्टरपंथ, उत्तर पूर्व में क्षेत्रीय विद्रोह और नक्सली समस्या।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए एक प्रभावी प्रणाली लागू की है, लेकिन धनशोधन या मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण मामलों में अभियोजन को मजबूत करने के लिए बड़े सुधार की आवश्यकता है।
अग्रवाल ने कहा कि भारत आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में सुनवाई प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की जरूरत को समझता है और इसे तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कदम उठा रहा है।
उन्होंने कहा कि एफएटीएफ की सिफारिशों में, आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में तेजी से सुनवाई करना महत्वपूर्ण है। बाकी सिफारिशें सहायक प्रकृति की हैं।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमने ‘डिस्टिंक्शन’ के साथ परीक्षा पास की है। चूंकि भारत एफएटीएफ के अनुसार, नियमित तौर पर काम कर रहा है, अत: देश तीन साल के बाद जोखिम आकलन की रिपोर्ट दे सकता है। इस हिसाब से भारत के लिए यह 2025 है।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘लेकिन हमपर कोई बाध्यता नहीं है।’’
अधिकारी ने गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण की आशंका पर कहा कि एफएटीएफ के अनुसार इस तरह के वित्तपोषण को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाये जाने चाहिए।
देश में 30 लाख से अधिक गैर-लाभकारी संगठन काम कर रहे हैं, जबकि केवल 2.70 लाख आयकर विभाग में पंजीकृत हैं।
अग्रवाल ने कहा कि आयकर विभाग ने ‘जोखिम’ वाले गैर-लाभकारी संगठनों की पहचान करने के लिए विभिन्न आंकड़ों का उपयोग किया है। इन संगठनों को संवेदनशील बनाने के लिए उनके साथ मिलकर काम किया जा रहा है ताकि उन्हें आतंकवाद के वित्तपोषण के माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाए।
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