जरुरी जानकारी | भारत, ब्रिटेन बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित मुद्दों को सुलझाने पर कर रहे काम

नयी दिल्ली, 14 जुलाई भारत और ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और वस्तुओं के उत्पत्ति स्थल के नियमों जैसे मुद्दों पर मतभेदों को दूर करने के लिए काम कर रहे हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

समझौते के लिए 11वें चरण की वार्ता चल रही है। इस समझौते के लिए वार्ता जनवरी, 2021 में शुरू हुई थी।

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि समझौते के 26 अध्यायों में से 14 बंद कर दिए गए हैं। पांच अध्यायों में पर्यावरण, श्रम और डिजिटल व्यापार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विवादास्पद मुद्दे हैं।

उन्होंने यहां कहा कि यह समझौता ‘सबसे जटिल’ है जिस पर भारत हस्ताक्षर करेगा।

बर्थवाल ने कहा, “ब्रिटेन पहला देश होगा जिसके साथ हम एक व्यापक एफटीए करने जा रहे हैं। इस पर हमने किसी अन्य विकसित देश के साथ हस्ताक्षर नहीं किए हैं।”

आईपीआर और वस्तु के उत्पत्ति स्थान के नियमों (आरओओ) के संबंध में कुछ मतभेद हैं।

उन्होंने कहा, “सेवाओं में भी कुछ मुद्दे हैं। इसलिए हम उन मुद्दों पर काम कर रहे हैं। उम्मीद है, हम इसे सुलझाने और आगे बढ़ने में सक्षम होंगे।”

वस्तुओं के उत्पत्ति स्थल के नियम’ (रूल्स ऑफ ऑरिजिन) प्रावधान न्यूनतम प्रसंस्करण निर्धारित करते हैं जो एफटीए देश में होना चाहिए ताकि अंतिम निर्मित उत्पाद को उस देश में मूल माल कहा जा सके।

इस प्रावधान के तहत, कोई भी देश जिसने भारत के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किया है, वह सिर्फ एक लेबल लगाकर किसी तीसरे देश के माल को भारतीय बाजार में डंप नहीं कर सकता है। भारत को निर्यात करने के लिए उसे उस उत्पाद में एक निर्धारित मूल्यवर्द्धन करना होगा। मूल नियमों के मानदंड माल की डंपिंग को रोकने में मदद करते हैं।

वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में कहा है कि मुक्त व्यापार समझौते के लिए भारत-ब्रिटेन वार्ता ‘महत्वपूर्ण चरण’ पर पहुंच गई है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल एफटीए वार्ता के लिए 10-12 जुलाई तक लंदन में थे।

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