नयी दिल्ली, सात मई चीनी मिलों ने सरकार के वित्तीय सहयोग की मदद से सितंबर में समाप्त होने वाले चालू चीनी विपणन वर्ष में अब तक 33.49 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। चीनी उद्योग व्यापार संघ ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) ने एक बयान में कहा कि चीनी मिलों ने अब तक 42 लाख टन चीनी निर्यात करने का अनुबंध किया है। खाद्य मंत्रालय ने उन्हें 60 लाख टन का कोटा जारी किया है।
विपणन वर्ष 2019-20 के समाप्त होने में अभी पांच महीने बाकी हैं, इसलिए एसोसिएशन को लगता है कि चीनी मीलें अपनी निर्यात पूरी कर लेंगी।
चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से अगले वर्ष सितंबर माह तक का होता है।
एआईएसटीए के अनुसार, एक अक्टूबर, 2019 से 4 मई, 2020 तक 33,49,132 टन चीनी का निर्यात किया गया।
भारत ने 60 देशों को चीनी का निर्यात किया, लेकिन कुल निर्यात खेप के लगभग 60 प्रतिशत भाग का निर्यात ईरान, सोमालिया, मलेशिया, श्रीलंका और अफगानिस्तान को किया गया।
सरकार ने वैश्विक बाजारों में अधिशेष चीनी को खपाने के लिए विपणन वर्ष 2019-20 के दौरान अधिकतम स्वीकार्य निर्यात कोटा (एमएईक्यू) के तहत 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है।
इससे पिछले विपणन वर्ष 2018-19 के दौरान देश ने 38 लाख टन चीनी का निर्यात किया था।
चीनी मिलों को गन्ने के बकाए के भुगतान करने में की मदद के लिए केंद्र ने कई कदम भी उठाए हैं। सरकार ने 40 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाया है, जिसका सरकारी खजाने पर 1,674 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ा है।
इसके अलावा चीनी मिलों को 60 लाख टन चीनी निर्यात करने में मदद के लिए 6,268 करोड़ रुपये की सहायता दी जा रही है।
सरकार पेट्रोल के साथ मिश्रण के लिए एथनॉल उत्पादन में अतिरिक्त गन्ना और चीनी के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, 260 टन की घरेलू खपत के मुकाबले वर्ष 2019-20 में चीनी उत्पादन 273 लाख टन रहने का अनुमान है।
पिछले वर्ष 259 लाख टन घरेलू मांग की तुलना में चीनी उत्पादन 331 लाख टन हुआ था।
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