मुंबई, 16 नवंबर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटीबी) ने अपने संकाय सदस्यों और छात्रों से कहा है कि यदि वे किसी चर्चा के लिए बाहरी वक्ताओं को आमंत्रित करने या वृत्तचित्रों या फिल्मों को प्रदर्शित करने की योजना बना रहे हैं जिसकी विषयवस्तु के ‘‘राजनीतिक या विवादास्पद’’ होने की आशंका हो, तो उसके लिए पूर्व मंजूरी लें।
संस्थान द्वारा दो दिन पहले जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है कि यदि चर्चा/विषयवस्तु पूरी तरह से गैर-राजनीतिक है तो ऐसी अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब इजराइल के खिलाफ फलस्तीनी स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बात करते समय कथित तौर पर आतंकवाद का महिमामंडन करने के लिए अतिथि वक्ताओं के खिलाफ आईआईटीबी परिसर के बाहर कुछ दिनों पहले एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था।
चौदह नवंबर को जारी 'आईआईटी मुंबई में कार्यक्रमों के आयोजन पर अंतरिम दिशानिर्देश' में कहा गया है कि बाहरी वक्ताओं, या फिल्मों/वृत्तचित्रों के प्रदर्शन से जुड़े कार्यक्रमों के लिए, डीन आयोजन को मंजूरी देने से पहले निदेशक द्वारा नियुक्त समिति से मंजूरी लेते हैं।
वामपंथी झुकाव वाले छात्रों के संगठन ‘आंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल’ द्वारा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर दिशानिर्देश पोस्ट किए गए और इसे "मुंह बंद करने" का आदेश करार दिया।
जब इस मुद्दे पर एक संदेश के माध्यम से संपर्क किया गया, तो आईआईटी मुंबई की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी।
दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘‘संकाय सदस्य यदि बाहरी वक्ताओं को आमंत्रित करने, या वृत्तचित्रों/फिल्मों का प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं, चाहे यह उनकी शैक्षणिक गतिविधि का हिस्सा हो या इससे भिन्न हो, उन्हें शैक्षणिक इकाई के प्रमुख से पूर्व अनुमोदन लेना होगा।"
दस्तावेज़ में कहा गया है, "हालांकि, ऐसी अनुमति की तब कोई आवश्यकता नहीं है यदि चर्चा/विषयवस्तु पूरी तरह से गैर-राजनीतिक है और इसमें ऐसी कोई सामग्री नहीं जिसे राजनीतिक या संभावित रूप से विवादास्पद माना जा सके।’’
ये दिशानिर्देश 11 नवंबर को आईआईटीबी के बाहर एक विरोध प्रदर्शन के बाद जारी किए गए हैं। उक्त प्रदर्शन में इजराइल के खिलाफ फलस्तीनी स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बात करते हुए कथित तौर पर आतंकवाद का महिमामंडन करने के लिए एक प्रोफेसर और एक अतिथि वक्ता की गिरफ्तारी की मांग की गई थी।
प्रदर्शनकारियों के अनुसार, प्रतिष्ठित संस्थान के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग की प्रोफेसर शर्मिष्ठा साहा और अतिथि वक्ता सुधन्वा देशपांडे ने छह नवंबर को शैक्षणिक पाठ्यक्रम 'एचएस 835 परफॉर्मेंस थ्योरी एंड प्रैक्सिस' के तहत एक चर्चा के दौरान कथित तौर पर "आतंकवादियों" और सशस्त्र विद्रोह के बारे में बात की थी।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) विवेक विचार मंच के तत्वावधान में प्रदर्शन करने वालों ने दावा किया कि देशपांडे ने फलस्तीनी आतंकी जकारिया जुबैदी का महिमामंडन किया था और 2015 में उससे भेंट करने की बात भी स्वीकार की थी, जो कथित तौर पर उस अल-अक्सा शहीद ब्रिगेड का हिस्सा है। इस ब्रिगेड को कई देशों द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है।
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