नयी दिल्ली, 19 अगस्त आरकॉम के लिये भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाली ऋणदाताओं की समिति ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि अगर कंपनी के स्पेक्ट्रम की बिकी की अनुमति नहीं मिली तो यह दूरसंचार कंपनी परिसमापन में चली जायेगी और इससे किसी का भला नहीं होगा।
ऋणदाताओं की समिति ने न्यायालय से कहा कि आरकाम दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता के तहत कार्यवाही की आड़ में समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया देने से भाग नहीं रही है लेकिन इस दूरसंचार कंपनी पर बैंकों का 42,000 करोड़ रूपए बकाया है।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ से आरकॉम के लिये ऋणदाताओं की समिति और रिलायंस जिओ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि बैंक और दूरसंचार विभाग दोनों ही जनता के पैसे की अदायगी की मांग कर रहे हैं।
साल्वे ने कहा, ‘‘अगर स्पेक्ट्रम की बिकी की अनुमति नहीं दी गयी तो आरकॉम खुद को परिसमापन के लिये जाते देखेगी और इससे किसी का भी भला नहीं होगा।’’
इस पर पीठ ने कहा कि कारोबार के दिशा निर्देशों के तहत स्पेक्ट्रम की बिक्री की अनुमति है लेकिन आईबीसी के तहत इसे कैसे बेचा जा सकता है।
पीठ ने कहा कि समाधान के सारे लेन देन आईबीसी के अनुसार होने चाहिए और कारोबार के दिशानिर्देशों के अनुसार स्पेक्ट्रम की बिक्री से पहले सारी बकाया राशियों का हिसाब किताब करना होगा।
पीठ ने साल्वे से कहा कि आईबीसी ने सरकार की बकाया रकम को बैंकों के बकाये के पीछे कर दिया है और फिर इस तरह की स्थिति में स्पेक्ट्रम बेचने के दिशानिर्देशों के अनुसार पहले की बकाया राशियों का भुगतान कैसे होगा?
करीब दो घंटे की सुनवाई के दौरान साल्वे ने पीठ से कहा कि दूरसंचार विभाग की सहमति के बगैर स्पेक्ट्रम बेचने का सवाल ही पैदा नहीं होता है और अगर समाधान केआवेदक कहते हैं कि योजना में स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के अधिकार बेचना भी शामिल है तो यह दूरसंचार विभाग की मंजूरी से ही होगा।
इस मामले में बहस अधूरी रही जो बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी।
अनूप
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)