नयी दिल्ली, 26 नवंबर : कांग्रेस ने संविधान दिवस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से विपक्ष पर निशाना साधे जाने के बाद शुक्रवार को उन पर पलटवार किया और कहा कि अगर 70 वर्षों में लोकतंत्र को मजबूत और उसका सम्मान नहीं किया गया, तो फिर 2014 में मोदी प्रधानमंत्री कैसे बने. पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की ओर से विपक्ष पर निशाना साधने का कोई औचित्य नहीं था. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जी का विपक्ष की आलोचना करना सही नहीं है. इसका कोई औचित्य नहीं है. सरकार कोई अवसर नहीं छोड़ती कि संविधान और संवैधानिक परंपराओं को दबाकर निर्णय लिया जाए.’’ शर्मा ने कहा, ‘‘यहां राष्ट्रीय दल भी हैं और क्षेत्रीय दल भी हैं. हर दल का अपना एक संविधान होता है. हर दल स्वयं निर्णय लेते हैं. भाजपा के पास भी परिवार है. उसमें संगठन मंत्री के तौर पर लोग काम करते हैं. हर दल का काम करने का अपना तरीका है.’’
उन्होंने प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘1947 से 2014 तक लोकतंत्र कमजोर नहीं, मजबूत होता रहा. अगर लोकतंत्र को संकट था और लोकतंत्र का सम्मान नहीं किया गया तो फिर 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री कैसे बने? इसलिए क्योंकि संविधान, प्रजातंत्र और कानून का सम्मान किया गया था.’’ कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा, ‘‘आजादी के संग्राम और संविधान बनाने में अगर भाजपा के विचार से जुड़ा कोई एक व्यक्ति शामिल था, तो मैं उनको बधाई दूंगा. आज नया इतिहास लिखने की कोशिश हो रही है. हम ऐसा नहीं होने देंगे. हम जनता को बार-बार सही इतिहास के बारे में याद दिलाते रहेंगे.’’ यह भी पढ़ें : Earthquake In Bangalore: बेंगलुरु में भूकंप जैसे हल्के झटके महसूस किए गए
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए पारिवारिक पार्टियों को संविधान के प्रति समर्पित राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय बताया और दावा किया कि लोकतांत्रिक चरित्र खो चुके दल, लोकतंत्र की रक्षा नहीं कर सकते हैं. संसद के केंद्रीय कक्ष में संविधान दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने किसी दल विशेष का नाम लिए बगैर इस आयोजन का बहिष्कार करने वाले दलों को भी आड़े हाथों लिया और इस पर चिंता जताते हुए कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का स्मरण ना करने और उनके खिलाफ ‘‘विरोध के भाव’’ को यह देश स्वीकार नहीं करेगा