देश की खबरें | ललित मोदी को फेमा मामले में पांच व्यक्तियों से जिरह की अनुमति देने के उच्च न्यायालय के आदेश पर शीर्ष अदालत की रोक
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर शीर्ष अदालत ने आईपीएल के पूर्व आयुक्त ललित मोदी को विदेशी मुद्रा विनियमन कानून के कथित उल्लंघन के मामले में पांच व्यक्तियों से जिरह करने की अनुमति देने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया था कि वह इन व्यक्तियों से जिरह करने की अनुमति ललित मोदी को दे।

न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन , न्यायमूति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की अपील पर ललित मोदी से जवाब मांगा और इसे इस मामले में पहले से ही लंबित अपीलों के साथ संलग्न कर दिया।

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पीठ ने इस मामले में ललित मोदी को नोटिस जारी करते हुये अपने आदेश में कहा, ‘‘इस बीच, उच्च न्यायालय के फैसले और आदेश पर रोक रहेगी।’’

उच्च न्यायालय ने 20 जून, 2019 को प्रवर्तन निदेशालय के आठ जुलाई, 2018 सहित तीन संदेशो को उस सीमा तक निरस्त कर दिया था जिसमे उन तीन व्यक्तियों से जिरह करने की अनुमति देने से प्रवर्तन निदेशालय ने इंकार किया था जिनके बयान को उसने अपना आधार बनाया है।

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उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया था कि वह उन सभी व्यक्तियों से जिरह की अनुमति दे जिनके बयानों को न्याय के लिये आधार बनाया गया है।

मोदी ने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन, पीटर ग्रिफिथ, एंन्ड्रू वाइल्डब्लड, ए के नजीर खान और डी के सिंह से जिरह की अनुमति मांगी थी।

मोदी ने उन सभी व्यक्तियों से संयुक्त रूप से सुनवाई करने का अनुरोध किया था जिन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने कारण बताओ नोटिस भेजे थे। एजेन्सी ने इस अनुरोध को भी आठ जनवरी, 2018 को ठुकरा दिया था।

उच्च न्यायालय ने आठ जनवरी, 2018 का पत्र निरस्त करते हुये कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय संयुक्त सुनवाई के अनुरोध पर विचार करके नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप उचित आदेश पारित करेगा।

इसी तरह उसने निदेशालय का 21अगस्त, 2018 का संदेश भी उस सीमा तक निरस्त कर दिया था जिसमे उसने बीसीसीआई को 20 जुलाई, 2011 को दिये गये कारण बताओ नोटिस की प्रति देने से इंकार कर दिया था।

यह मामला प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी डी के सिंह की फेमा कानून के तहत 13 जुलाई, 2011 को दर्ज करायी गयी शिकायत का नतीजा है।इसी शिकायत के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने 20 जुलाई, 2011 को बीसीसीआई , एन श्रीनिवासन, एम पी पांडव और ललित मोदी को कारण बताओ नोटिस जारी किये थे।

इन नोटिस का आधार बीसीसीआई द्वारा इंटरनेशल मैनेजमेन्ट ग्रुप, यूके लि (आईएमजी) की सेवायें लेने और फेमा कानून का उल्लंघन करके उसे किये गये भुगतान थे।

ललित मोदी और अन्य के खिलाफ फेमा कानून की धारा 42 के तहत कार्यवाही की जा रही है।

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