कूटीकल (केरल), 17 अक्टूबर : पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित एक बस्ती में रविवार की सुबह रोती-बिलखती एक बुजुर्ग महिला को बारिश के पानी से लबालब सड़कों पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास जाकर मदद मागंते देखा जा सकता है. फटी-सी साड़ी पहने महिला ने जोर-जोर से रोते और इधर-उधर भागते हुए कहा, ''मैंने सब कुछ खो दिया है ... अपना सब कुछ... मैं कहा जाऊं? ... मुझे कौन आश्रय देगा?'' शनिवार को अचानक हुई मूसलाधार बारिश ने गांव के लोगों को झकझोर कर रख दिया. बारिश में बुजुर्ग महिला की जीवन भर की कमाई का एक-एक पैसा बह गया और वह अचानक बेघर हो गई. महिला ने पत्रकारों से कहा, "मैंने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन सर से 'कूरा' (झोपड़ी) बनाने के लिए दो सेंट जमीन देने की गुहार लगाई है. मेरे पास कोई चारा नहीं है. मेरी बेटियों के घर भी जलमग्न हो गए हैं. अब मैं ठिकाने की तलाश में गिरजाघर जा रही हूं.'' केरल के कोट्टायम जिले में स्थित कूटीकल में कई असहाय परिवारों की कहानी भी ऐसी ही है, जो कल भारी बारिश के कारण हुए सिलसिलेवार भूस्खलन के कारण गंभीर संकट का शिकार हुए हैं और कई लोगों की जान तक जा चुकी है. आज सुबह जब भीषण बारिश में थोड़ी कमी नजर आई, तो इस गांव में बड़ी संख्या में लोग एक झटके में ही विस्थापितों की जिंदगी जीने को मजबूर हो गए और पुनर्वास परिसर में बसर करने को मजबूर हो गए.
कई बुजुर्ग ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने दशकों पुराने जीवन में पहली बार इतनी गंभीर वर्षा देखी और इसे अनुभव किया. यहां एक स्थानीय दुकानदार ने अपनी नयी कार की ओर इशारा किया, जो लगभग नष्ट हो चुकी है और लटकी हुई दिखाई दे रही, जिसके पिछले पहिए उनके घर के परिसर में एक टूटी हुई दीवार पर चिपके हुए हैं. अधेड़ उम्र के इस व्यक्ति ने कहा, "यह मेरी नयी कार थी, जो घर के सामने खड़ी थी. शनिवार दोपहर मैं घर पर नहीं था तभी अचानक बाढ़ का पानी घर के परिसर के अंदर चला गया. मेरी पत्नी और बच्चे किसी तरह पड़ोसी के घर भाग गए." उन्होंने भावुक होते हुए अपनी 'मुंडू' (धोती) दिखाई और कहा कि उन्होंने यह पड़ोसी से उधार ली है. उन्होंने कहा कि केवल जान बच गई और बाकी सब कुछ खो गया. उन्होंने कहा कि 2018 की बाढ़ में भी उन्हें इतनी भयानक स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा था. इडुक्की जिले के एक पहाड़ी गांव कोक्कयार में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है, जहां शनिवार को लगातार हुई बारिश में कई बार भूस्खलन हुआ और लोगों की जान गई. एक ग्रामीण महिला राजम्मा को अभी तक विश्वास नहीं हुआ है कि पहाड़ी की तलहटी में अपने घर के पास कुछ निर्माण गतिविधियों में लगे उनके बच्चों सहित चार सदस्यीय परिवार उनकी आंखों के सामने बाढ़ के पानी में बह गया. बुजुर्ग महिला ने कहा कि जब पहाड़ी की चोटियों से छोटे पैमाने पर पानी गिरता हुआ दिखाई दे रहा था, तो उन्होंने परिवार के सदस्यों को सलाह दी थी कि वह उस जगह से दूर चले जाएं. यह भी पढ़ें : Uttarakhand: भारी बारिश की चेतावनी के चलते उत्तरकाशी में 18 अक्टूबर को सभी स्कूल बंद रहेंगे
आंखों में आंसू भरकर महिला ने कहा, "लेकिन, उन्होंने अपना काम जारी रखा. पहाड़ के जिस हिस्से पर वे खड़े थे, वह अचानक धंस गया... पानी के तेज बहाव के साथ विशाल पत्थर लुढ़कने लगे ... मुझे और कुछ याद नहीं है." बचाव अभियान में लगे अधेड़ उम्र के व्यक्ति जॉर्ज ने कहा कि शनिवार रात 11 बजे तक गांव में सब कुछ ठीक और शांत था. उन्होंने कहा, "लेकिन, उसके बाद स्थिति और खराब हो गई. लगभग 10 बड़े पुल और इतने ही लकड़ी के पुल बह गए और गांव जल्द ही अलग-थलग पड़ गया." सेना, एनडीआरएफ, पुलिस और दमकल बल ने स्थानीय लोगों के साथ रविवार सुबह कूटीकल और कोक्कयार पंचायतों में बचाव अभियान शुरू किया, जहां एक दर्जन से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि रविवार सुबह बचावकर्मियों ने कूटीकल पंचायत से चार और शव बरामद किए, जिसके साथ ही मरने वालों की संख्या आठ हो गई.