कोलंबो (श्रीलंका), 26 नवंबर दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मधुमेह की रोकथाम और नियंत्रण उपायों को मजबूत करने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं अधिकारियों ने ‘कोलंबो कॉल टू एक्शन’ अंगीकार किया है।
‘कॉल टू एक्शन’ (कार्रवाई का आह्वान) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ‘ग्लोबल डायबिटीज कॉम्पैक्ट’ के प्रमुख कारकों- एकजुट करने, एकीकृत करने, नवाचार, उपचार, पता लगाने और शिक्षित करने के प्रयासों में तेजी लाने के लिए सदस्य देशों की उत्प्रेरक कार्रवाइयों और सामूहिक प्रतिबद्धताओं को रेखांकित करता है।
डब्ल्यूएचओ के एक बयान में कहा गया है कि इसका उद्देश्य मधुमेह के जोखिम को कम करना और गुणवत्तापूर्ण उपचार एवं देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करना है।
बयान में कहा गया है कि यह मोटापे, अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक निष्क्रियता से टाइप-2 मधुमेह की रोकथाम का भी समर्थन करता है।
बयान में कहा गया है कि दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में हर साल मधुमेह से संबंधित 4,82,000 से अधिक मौतें होती हैं।
मधुमेह और इसकी जटिलताएं -दृष्टीहीनता, गुर्दे में गड़बड़ी, दिल का दौरा, स्ट्रोक और निचले अंग का विच्छेदन- मधुमेह रोगियों, उनके परिवारों, स्वास्थ्य प्रणालियों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए अनगिनत कठिनाइयों और आर्थिक नुकसान का कारण बनती हैं।
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने विश्व मधुमेह दिवस 2024 के दो दिवसीय क्षेत्रीय स्मरणोत्सव को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मधुमेह देखभाल तक समय पर पहुंच सुनिश्चित करके जीवन को बचाया जा सकता है। देखभाल सेवाओं को न्यायसंगत, व्यापक, सुलभ और सस्ता होना चाहिए।’’
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिमी प्रशांत और अफ्रीका क्षेत्रों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के प्रतिनिधियों, शैक्षणिक संस्थानों, पेशेवर निकायों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और विकास भागीदारों सहित 100 से अधिक विशेषज्ञों और अधिकारियों ने 21-22 नवंबर को स्वास्थ्य मंत्रालय, श्रीलंका सरकार और डब्ल्यूएचओ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इसका समापन ‘कोलंबो कॉल टू एक्शन’ को अपनाने के साथ हुआ।
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