नयी दिल्ली, 29 नवंबर मोबाइल फोन कंपनी लावा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक (एमडी) हरिओम राय ने बुधवार को यहां एक अदालत को बताया कि हालांकि उनकी कंपनी और वीवो एक दशक पहले भारत में एक संयुक्त उद्यम शुरू करने के लिए बातचीत कर रहे थे, लेकिन 2014 के बाद से उनका चीनी कंपनी या उसके प्रतिनिधियों से कोई लेना-देना नहीं है।
मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो के खिलाफ धनशोधन मामले में गिरफ्तार राय ने अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश तरूण योगेश के समक्ष अपने वकील के माध्यम से ये दलीलें दीं।
न्यायाधीश ने बुधवार को मामले की अगली सुनवाई की अगली तिथि चार दिसंबर तय की।
आरोपी की ओर से पेश वकील विक्रम चौधरी और नितेश राणा ने याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि आरोपी का वीवो के कारोबार पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई नियंत्रण नहीं है।
वकीलों ने अदालत को बताया, ‘‘उसने कोई मौद्रिक लाभ प्राप्त नहीं किया है, न ही वह वीवो या कथित तौर पर वीवो से संबंधित किसी इकाई के साथ किसी लेनदेन में शामिल हुआ है, फिर किसी भी कथित ‘अपराध की आय’ से जुड़े होने की तो बात ही छोड़ दें।’’
राणा ने कहा कि चूंकि वीवो चीन भारत में प्रवेश करना चाहता था, इसलिए राय ने 2013 में वीवो चीन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शेन वेई से मुलाकात की।
वकीलों ने अदालत को बताया, ‘‘उस समय, वीवो और लावा एक संयुक्त उद्यम पर विचार कर रहे थे जिसमें 25 प्रतिशत शेयर लावा के पास होंगे। हालांकि, यह अंततः सफल नहीं हुआ और वीवो ने भारत में स्वतंत्र रूप से अपना व्यवसाय संचालित करने का निर्णय लिया।’’
राय को कुछ अन्य लोगों के साथ धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए वीवो ने ‘‘अवैध रूप से’’ चीन को 62,476 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये।
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