अहमदाबाद, 26 नवंबर इस माह के प्रारंभ में यहां एक अस्पताल में ‘एंजियोप्लास्टी’ प्रक्रिया में गड़बड़ी के बाद प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के दो लाभार्थियों की मौत के सिलसिले में अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इन गिरफ्तारियों के साथ, इस प्रकरण में अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या बढ़कर छह हो गई है, जिनमें अहमदाबाद के ख्याति मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में इन दो लाभार्थियों की एंजियोप्लास्टी करने वाले ‘विजिटिंग’ हृदय चिकित्सक डॉ प्रशांत वजीरानी भी शामिल हैं। डॉ. वजीरानी को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि तीन अन्य आरोपी अब भी फरार हैं, जिनमें अस्पताल के अध्यक्ष कार्तिक पटेल, निदेशक --राजश्री कोठारी और डॉ. संजय पटोलिया शामिल हैं। कार्तिक पटेल विदेश में है।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) शरद सिंघल ने बताया कि जांच से पता चला है कि अस्पताल ने पीएमजेएवाई कार्ड धारकों को ‘एंजियोप्लास्टी’ कराने के लिए राजी करने के वास्ते गांवों में मुफ्त जांच शिविर लगाये, जबकि इसकी कोई चिकित्सकीय आवश्यकता नहीं थी।
उन्होंने बताया कि सरकारी मंजूरी में तेजी लाने के लिए मरीजों को गलत तरीके से ‘आपातकालीन’ श्रेणी में पंजीकृत किया गया था और बदले में अस्पताल ने सरकार से भुगतान का दावा किया।
उन्होंने कहा कि अस्पताल ने पिछले साल इस योजना के तहत 11 करोड़ रुपये कमाए थे, जिसमें से 70 प्रतिशत आय ऐसे दावों से आई थी।
सिंघल ने बताया कि मंगलवार को जो पांच लोग गिरफ्तार किये गये, उनमें अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल जैन, विपणन निदेशक चिराग राजपूत, विपणन कार्यकारी मिलिंद पटेल और उसके दो सहायक पांकिल पटेल एवं प्रतीक भट्ट हैं।
संयुक्त पुलिस आयुक्त ने बताया कि चार्टर्ड एकाउंटेंट जैन को उदयपुर में पकड़ा गया, जबकि अन्य को गुजरात के खेड़ा जिले के कपड़वंज तालुका में एक फार्महाउस से गिरफ्तार किया गया, जहां वे पुलिस द्वारा जांच शुरू करने के बाद से छिपे हुए थे। उन्होंने बताया कि यह फार्महाउस राजपूत के दोस्त का है।
सिंघल ने बताया कि अस्पताल के विपणन कार्यकारी मिलिंद पटेल और उसके दो सहायक विपणन निदेशक चिराग राजपूत के निर्देश पर मुफ्त जांच शिविर आयोजित करते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘वे लोगों को पीएमजेएवाई योजना (जो निःशुल्क है) के तहत अस्पताल में सर्जरी कराने के लिए राजी करते थे। वे गांव के सरपंचों को कमीशन भी देते थे।’’
यह जांच दो मरीजों की मौत के बाद उनके परिजन द्वारा शिकायत करने के बाद शुरू की गई थी। ये दोनों मरीज 11 नवंबर को एंजियोप्लास्टी कराने वाले सात व्यक्तियों में शामिल थे।
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