नयी दिल्ली, 11 सितंबर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 31,350 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजनाओं के विकास में सहायता के लिए 12,461 करोड़ रुपये के व्यय को मंजूरी दे दी। इन परियोजनाओं को अगले आठ साल में क्रियान्वित किया जाना है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जलविद्युत परियोजनाओं के लिए संबंधित बुनियादी ढांचों को लेकर लागत मामले में बजटीय समर्थन की योजना में सुधार के बिजली मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसपर कुल व्यय 12,461 करोड़ रुपये आएगा।
बयान के मुताबिक, यह योजना वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2031-32 तक क्रियान्वित की जाएगी।
बुनियादी ढांचे की लागत को लेकर बजटीय समर्थन की सीमा को युक्तिसंगत बनाया गया है। इसके तहत 200 मेगावाट तक की परियोजनाओं के लिए एक करोड़ रुपये प्रति मेगावाट का बजटीय समर्थन दिया जाएगा। वहीं 200 मेगावाट से अधिक की परियोजनाओं के लिए 200 करोड़ रुपये के साथ 75 लाख रुपये प्रति मेगावाट का समर्थन दिया जाएगा।
अपवाद वाली स्थिति में जरूरत होने पर बजटीय सहायता की सीमा 1.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट तक की जा सकती है।
बयान में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2031-32 तक लागू की जाने वाली लगभग 31,350 मेगावाट की संचयी उत्पादन क्षमता के लिए इस योजना का कुल व्यय 12,461 करोड़ रुपये है।
यह योजना 25 मेगावाट से अधिक क्षमता की सभी जल विद्युत परियोजनाओं पर लागू होगी। इसमें निजी क्षेत्र की परियोजनाएं भी शामिल हैं जिनका आवंटन पारदर्शी आधार पर किया गया है।
यह योजना निजी/वाणिज्यिक पीएसपी सहित सभी पंप भंडारण परियोजनाओं (पीएसपी) पर भी लागू होगी। लेकिन इसके लिए शर्त है कि परियोजना पारदर्शी आधार पर आवंटित की गई हो।
योजना के तहत लगभग 15,000 मेगावाट की संचयी पीएसपी क्षमता का समर्थन किया जाएगा।
जिन परियोजनाओं को पहले बड़े ‘पैकेज’ के लिए आवंटन पत्र 30 जून, 2028 तक जारी हो जाएगा, उनपर इस योजना के तहत विचार किया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि इस कदम से सड़कों और पुलों के निर्माण के अलावा चार अन्य मदों को शामिल करके बुनियादी ढांचे को सक्षम करने की लागत के लिए बजटीय समर्थन का दायरा बढ़ जाएगा।
इन चार मदों में राज्य/केंद्रीय पारेषण इकाइयों के पूलिंग सबस्टेशन, रोपवे, रेलवे साइडिंग और संचार बुनियादी ढांचा समेत बिजलीघर से समीप के पूलिंग पॉइंट तक पारेषण लाइन के निर्माण पर आने वाली लागत शामिल हैं।
परियोजना की ओर जाने वाली मौजूदा सड़कों/पुलों का सुदृढ़ीकरण भी इस योजना के तहत केंद्रीय सहायता के लिए पात्र होगा।
इस संशोधित योजना से पनबिजली परियोजनाओं के तेजी से विकास में मदद मिलेगी। साथ ही यह दूरदराज और पहाड़ी परियोजना स्थलों में बुनियादी ढांचे में सुधार करेगी और परिवहन, पर्यटन और छोटे पैमाने के व्यवसाय के माध्यम से उद्यमशीलता के अवसरों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान करेगी।
इसके अलावा, यह कदम जल विद्युत क्षेत्र में नए निवेश के साथ नई परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
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