देश की खबरें | उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी. रामसुब्रमण्यम ने एनएचआरसी अध्यक्ष का पदभार संभाला

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी. रामसुब्रमण्यम ने सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानवाधिकार भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने में “गहरी पैठ” रखते हैं तथा इनके संवर्धन और संरक्षण के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच “सहयोगात्मक प्रयास” की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 23 दिसंबर को उन्हें मानवाधिकार आयोग का नया प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा की।

एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने आज यहां मानवाधिकार भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में अध्यक्ष का पदभार संभाला, जबकि न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी ने आयोग के सदस्य का पदभार संभाला। इस समारोह का आयोजन उनके और प्रियांक कानूनगो के स्वागत के लिए किया गया था, जो पिछले सप्ताह आयोग के सदस्य के रूप में शामिल हुए थे।

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 21 दिसंबर को उनकी नियुक्ति की थी।

सभा को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने मानवाधिकारों को महत्व देने और “इस अवधारणा को वैश्विक मान्यता मिलने से भी पहले” उनका पालन करने की भारत की प्राचीन परंपरा पर प्रकाश डाला।

तमिल कवि तिरुवल्लुवर का हवाला देते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानवाधिकार “भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने में गहराई से समाए हुए हैं”।

बयान में कहा गया कि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा के लिए “विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोगात्मक प्रयास” की आवश्यकता है।

तमिलनाडु के मन्नारगुडी में 30 जून, 1958 को जन्मे न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम “सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित पूर्व न्यायाधीश” हैं।

उन्होंने चेन्नई के रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कॉलेज से रसायन विज्ञान में बी.एससी. की पढ़ाई पूरी की और बाद में मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। 16 फरवरी 1983 को वे बार के सदस्य के रूप में नामांकित हुए और मद्रास उच्च न्यायालय में 23 वर्षों तक प्रैक्टिस की।

बयान के मुताबिक, न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने 2006 में मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और 2009 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। बयान में कहा गया है कि 2016 में उन्हें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था और विभाजन के बाद उन्होंने तेलंगाना उच्च न्यायालय में अपना कार्यकाल जारी रखा।

इसमें कहा गया, “2019 में उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उसी वर्ष बाद में वे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने। वह 29 जून, 2023 को उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने 102 फैसले लिखे हैं, जिनमें 2016 की नोटबंदी नीति और रिश्वतखोरी के मामलों में परिस्थितिजन्य साक्ष्य की वैधता से जुड़े ऐतिहासिक मामले शामिल हैं।”

उनकी नियुक्ति से पहले, एनएचआरसी अध्यक्ष का पद न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा के एक जून को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद से रिक्त पड़ा था।

मिश्रा ने अधिकार आयोग के आठवें अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और जून 2021 में उन्हें इसके शीर्ष पद पर नियुक्त किया गया था।

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