नयी दिल्ली, तीन जनवरी दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा के पूर्व विधायक नील दमन खत्री और उनके सहयोगी को दंगा करने और लोक सेवकों पर हमला करने के आरोप में दोषी ठहराया है। आरोप है कि उनके नेतृत्व में एक भीड़ ने राष्ट्रीय राजधानी के नरेला इलाके में अतिक्रमण रोधी टीम पर पथराव किया था।
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि दंगाई भीड़ को सरकारी अधिकारियों की पहचान और उद्देश्य पता था।
अदालत ने कहा, “पूर्व विधायक होने के नाते, खत्री को न केवल इन सभी गवाहों द्वारा भीड़ का नेतृत्व करने या उसके साथ चलने वाले के रूप में पहचाना गया, बल्कि वह एक नेता की भूमिका में भी थे... एक पूर्व विधायक के रूप में उनकी खास स्थिति की वजह से उन्हें महज एक आम तमाशबीन या भागीदार के रूप में नहीं देखा जा सकता।”
यह मामला खत्री, जोगिंदर दहिया और चार अन्य के खिलाफ था, जिन पर 14 नवंबर 2014 को अतिक्रमण रोधी अभियान चला रहे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ लगभग 250 लोगों की भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप था।
अदालत ने 24 दिसंबर को दिए गए 56 पृष्ठों के फैसले में कहा, “आरोपी नील दमन खत्री और जोगिंदर दहिया को भारतीय दंड संहिता की धारा 143 (अवैध सभा का सदस्य होना), 147 (दंगा करना), 149 (अवैध सभा), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 149 के तहत दोषी ठहराया जाता है।”
अदालत ने हालांकि, राज कुमार, सुरेन्द्र, प्रवीण और भीम सेन को यह कहते हुए बरी कर दिया कि यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि वे गैरकानूनी सभा के सदस्य थे या उन्होंने पुलिस अधिकारियों को चोट पहुंचाई।
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