श्रीनगर: कई देशों के राजनयिकों का जम्मू कश्मीर का दो दिवसीय दौरा बुधवार से शुरू हो गया जो केंद्रशासित प्रदेश में खासकर जिला विकास परिषदों (डीडीसी) के चुनाव के बाद स्थिति का जायजा लेने पहुंचा है. इस प्रतिनिधिमंडल में यूरोपीय देशों और इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) से जुड़े कुछ देशों के राजनयिक भी शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था. केंद्र के इस फैसले के बाद पिछले 18 महीने में विदेशी राजनयिकों का यह तीसरा दौरा है.
अधिकारियों ने यहां बताया कि प्रतिनिधिमंडल को आज कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच मध्य कश्मीर के मागम ले जाया गया जिसमें इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के चार देशों-मलेशिया, बांग्लादेश, सेनेगल और ताजिकिस्तान के राजनयिक भी शामिल हैं. प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस, यूरोपीय संघ, ब्राजील, इटली, फिनलैंड, क्यूबा, चिली, पुर्तगाल, नीदरलैंड, बेल्जियम, स्पेन, स्वीडन, किर्गिस्तान, आयरलैंड, घाना, एस्टोनिया, बोलिविया, मालावी, इरिट्रिया और आइवरी कोस्ट के राजनयिक भी शामिल हैं.
मागम में राजनयिकों का यह प्रतिनिधिमंडल एक कॉलेज गया जहां उनका पारंपरिक तरीक से स्वागत किया गया. उन्होंने वहां स्थानीय लोगों से बात की. अधिकारियों ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल और स्थानीय लोगों के बीच खुलकर चर्चा हुई. राजनयिकों से बात करने वाले डीडीसी बडगाम के अध्यक्ष नजीर अहमद ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सरकार द्वारा खाद्य, बिजली और अच्छी सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता जताई. यह भी पढ़ें: Farmers Protest: किसानों ने 26 जनवरी की घटना की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की
अहमद ने कहा, ‘‘बडगाम एक पिछड़ा जिला है जिसे विकास की आवश्यकता है। हमारी चर्चा इसी के इर्द-गिर्द थी.’’ उधर, अधिकारियों ने दिल्ली में कहा कि राजनयिकों ने नगर समिति, डीडीसी और खंड विकास परिषद के सदस्यों के साथ दोपहर भोज किया जिन्होंने एक स्वर में कहा कि कश्मीर में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हुई हैं जिससे शांतिपूर्ण और समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है.
अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय निकाय के सदस्यों ने विदेशी राजनयिकों से जम्मू कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने और निवेश लाने में मदद मांगी जिससे कि नौकरियां सृजित हो सकें. उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सुर में कहा कि ‘‘ऐतिहासिक’’ डीडीसी चुनाव शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुए. राजनयिकों का दौरा ऐसे समय हुआ है जब जम्मू कश्मीर में इंटरनेट से प्रतिबंध हटा लिए गए हैं और इसकी गति 2जी से बढ़ाकर 4जी कर दी गई है.
प्रतिनिधिमंडल ने हजरत बल दरगाह का दौरा भी किया जिसके बारे में मान्यता है कि वहां पवित्र निशानी के रूप में पैगंबर मोहम्मद की दाढ़ी का बाल रखा है. दरगाह के इमामों ने राजनयिकों की अगवानी की और उन्हें इसके ‘‘ऐतिहासिक’’ महत्व से अवगत कराया. अधिकारियों ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में ओआईसी से जुड़े देशों के राजनयिकों को शामिल करना एक महत्वपूर्ण चीज है जिससे कि केंद्रशासित प्रदेश में स्थिति को लेकर पाकिस्तान के दुष्प्रचार का आसानी से मुकाबला किया जा सके.
उल्लेखनीय है कि ओआईसी के महासचिव की विदेश मंत्रियों की परिषद के 47वें सत्र में रखी गई रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर की स्थिति का जिक्र किया गया था और कहा गया था, ‘‘क्षेत्र के जनांकिक और भौगोलिक समीकरण को बदलने की दिशा में पांच अगस्त 2019 का भारत सरकार के फैसले और लगातार बाधित गतिविधियों और जारी प्रतिबंधों तथा मानवाधिकारों के उल्लंघन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नए प्रयासों के लिए जागृत किया है.’’
भारत ने हालांकि, पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा था कि यह ‘‘दुखद है कि ओआईसी एक ऐसे खास देश द्वारा खुद के मंच का लगातार इस्तेमाल होने दे रहा है जिसका धार्मिक सहिष्णुता, कट्टरपंथ, अल्पसंख्यकों के दमन, भारत विरोधी दुष्प्रचार करने का बेहद खराब रिकॉर्ड है.’’ राजनयिकों का यह समूह बृहस्पतिवार को जम्मू जाएगा जहां यह अधिकारियों और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात करेगा.
इस बीच, श्रीनगर के कई हिस्सों में आज बंद रहा. लाल चौक और आसपास के कुछ इलाकों में दुकानें बंद रहीं क्योंकि अधिकारियों ने प्रतिनिधिमंडल का निर्बाध दौरा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए थे. हालांकि, सड़कों पर यातायात सामान्य था.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि राजनयिकों का दौरा लगभग हर साल होता है और यह बेकार की कवायद है क्योंकि सरकार को इससे कोई फायदा नहीं होता. उन्होंने कहा कि इससे बेहतर यह होगा कि भारत सरकार कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों से बात करे. वहीं, मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाली हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने कहा कि राजनयिकों का दौरा विश्व को भ्रमित करने के लिए है.
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