फर्जी दस्तावेजों के जरिये बीमा कंपनी से रुपये निकालने के आरोप में पांच लोग गिरफ्तार: दिल्ली पुलिस
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Image)

नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने 22 पॉलिसी धारकों को कथित तौर पर धोखा देने और 2.38 करोड़ रुपये निकालने के आरोप में एक प्रमुख बीमा कंपनी (Insurance Compnay) के दो पूर्व कर्मचारियों सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.  उन्होंने बताया कि जो राशि फर्जी दस्तावेजों के जरिये निकाली गई वह बीमाकर्ता के पास या तो ‘सरेंडर’ राशि के रूप में थी या परिपक्वता राशि के रूप में पड़ी थी जिस पर किसी ने दावा नहीं किया था.

‘सरेंडर’ राशि वह होती है जो पॉलिसीधारक को परिपक्वता अवधि से पहले पॉलिसी छोड़ने पर मिलती है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मैक्स लाइफ इंश्योरेंस में वरिष्ठ कार्यकारी के रूप में कार्यरत रोहित कुमार अग्रवाल (28) की कंपनी के डेटा तक पहुंच थी. उन्होंने बताया कि अग्रवाल उन पॉलिसी धारकों की पहचान करता था, जिनकी ‘सरेंडर’ और परिपक्वता राशि असामान्य रूप से लंबे समय तक कंपनी के पास बिना दावे के पड़ी रहती थी. Uttar Pradesh: बुलेट ट्रेन सेवा से भी जुड़ेगा यूपी का मेडिकल डिवाइस पार्क

उन्होंने बताया कि अग्रवाल बीमा कंपनी के एक अन्य कर्मचारी सुजीत कुमार मिश्रा (41) को ऐसे पॉलिसी धारकों के बारे में जानकारी देता था. उन्होंने बताया कि मिश्रा यह सूचना चंदन जैन (41) को देता था जो इन पॉलिसी धारकों के नाम पर नए बैंक खाते खोलने के लिए प्रेम प्रकाश (37) को पूरा विवरण उपलब्ध कराता था.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि पांचवां आरोपी विकास (30) एक आधार केंद्र पर काम करता था और उसने नए बैंक खातों में आधार विवरण अद्यतन करने में गिरोह की मदद की थी. अधिकारियों ने कहा कि इस मामले से आधार केंद्रों पर व्यक्तिगत विवरण को दुरुपयोग के मकसद से अद्यतन करने में इस प्रक्रिया की कमजोरी का भी खुलासा हुआ है.

पुलिस उपायुक्त (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन्स) प्रशांत गौतम ने कहा कि प्रकाश गरीब लोगों को, ज्यादातर राणा प्रताप बाग के पास झुग्गी बस्तियों के लोगों को लुभाता था और उन्हें एक आधार केंद्र में ले जाता था ताकि उनके नाम और पते को पॉलिसी धारकों के नाम और पते में बदला जा सके.

गौतम ने कहा, ‘‘एसबीआई, गुजरांवाला टाउन में आधार केंद्र में काम करने वाले विकास ने प्रति मामले 1,000-1,500 रुपये लेने के बाद बिना कोई प्रासंगिक दस्तावेज लिए विवरणों में बदलाव किया. इसके बाद इन लोगों ने इन आधार कार्ड के जरिये पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन किया. पैन और मतदाता पहचान पत्र बनवाने के बाद उनके बैंक खाते खुलवाए गए. इनमें से कई खाते ई-आधार प्रमाणीकरण प्रक्रिया का उपयोग करके डिजिटल रूप से खोले गए थे.’’

उन्होंने कहा कि प्रकाश बैंक खातों की चेक या पासबुक जैन को देता, जिसमें उन पॉलिसी धारकों के नाम होते थे. जैन इन दस्तावेजों को मिश्रा के माध्यम से अग्रवाल को देता था. उन्होंने बताया कि प्रकाश और उसके सहयोगियों द्वारा खोले गए नए बैंक खातों में राशि प्राप्त होती थी.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर राशि तब रिंकू सेल्स के नाम से खोले गए बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी गई थी, जिसका मालिक प्रकाश था और उसका पता कबीर नगर, राणा प्रताप बाग, दिल्ली था. इन बैंक खातों से आरोपी राशि निकाल लेते थे. गौतम ने कहा, ‘‘रिंकू सेल्स के बैंक खाते जैन द्वारा संचालित किए जाते थे, जिसके पास से एक सिम कार्ड, डेबिट कार्ड और चेक बुक बरामद की गई है.’’

पुलिस ने बताया कि उन्होंने ‘मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन’ द्वारा शिकायत प्राप्त करने के बाद पांच लोगों द्वारा की गई धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया. बीमा कंपनी ने आरोप लगाया गया था कि उसके दो पॉलिसी धारकों की ‘सरेंडर’ और परिपक्वता राशि से संबंधित लगभग 51 लाख रुपये धोखाधड़ी से अज्ञात व्यक्तियों द्वारा निकाल लिये गये हैं.

पुलिस ने कहा कि कंपनी द्वारा साझा किए गए दस्तावेजों और सूचनाओं की जांच के बाद पता चला कि 22 पॉलिसी धारकों की 37 पॉलिसी से लगभग 2.38 करोड़ रुपये धोखाधड़ी से निकाल लिये गये थे. इस बीच मैक्स लाइफ इंश्योरेंस ने एक बयान में कहा कि उसने एक आंतरिक जांच के दौरान धोखाधड़ी का पता लगाया और इसमें शामिल व्यक्तियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है.

कंपनी ने कहा, ‘‘हम नैतिकता और सत्यनिष्ठा के उच्चतम मानकों के साथ काम करने में विश्वास करते हैं. हमारे ग्राहकों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले और मैक्स लाइफ की प्रतिष्ठा को खतरे में डालने वाले किसी भी अनैतिक और कपटपूर्ण कृत्य को हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.’’

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