नयी दिल्ली, 16 मई राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी के बारे में एक याचिका को लेकर दिये गये जवाब में पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि यहां 4600 से ज्यादा स्कूलों के लिए कुल पांच बम निरोधक दस्ते (बीडीएस) और बम का पता लगाने वाली 18 टीम हैं।
अदालत में बृहस्पतिवार को दाखिल एक स्थिति रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने स्कूलों में बम होने की धमकियों के मामलों से निपटने के लिए पिछले साल दिशानिर्देश जारी किए थे और इस मामले में बीडीएस की तैनाती के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का आदेश भी जारी किया गया।
स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि एक जनवरी 2023 से इस साल छह मई के बीच स्कूलों में 120 ‘मॉक ड्रिल’ (अभ्यास) आयोजित की गईं।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने पुलिस से उन कदमों का विवरण देने को कहा था कि बम की धमकी के मामले में अभिभावकों पर ज्यादा निर्भरता के बिना स्कूली बच्चों को किस तरह सुरक्षित निकाला जाए ताकि उनके बीच दहशत ना फैले। अदालत ने प्रत्येक जोन में स्कूलों की संख्या, संबंधित नोडल अधिकारी, ‘मॉक ड्रिल’ की संख्या पर विवरण प्रस्तुत करने को कहा था।
पेशे से वकील, याचिकाकर्ता अर्पित भार्गव ने 2023 में मथुरा रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) में बम होने की धमकी के मद्देनजर याचिका दायर की थी।
पुलिस ने नयी रिपोर्ट में कहा कि एक-एक बीडीएस मध्य, पूर्व, नयी दिल्ली और दक्षिण रेंज में स्थित है, जिसमें क्रमशः 1764, 1032, 76, 1762 स्कूल हैं।
इसमें कहा गया है कि रेलवे और मेट्रो यूनिट रेंज के साथ एक-एक दस्ता है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘बम का पता लगाने वाली 18 टीम (बीडीटी) हैं। सभी 15 (पुलिस) जिलों में एक-एक तथा इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, रेलवे यूनिट और मेट्रो यूनिट के लिए एक-एक टीम तैनात हैं। बीडीटी के लिए रिपोर्टिंग प्राधिकारी संबंधित जिला पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) या यूनिट डीसीपी है।’’
पुलिस ने कहा कि बम निरोधक दस्तों और बम का पता लगाने वाली टीम के लिए एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया 2021 में पहले ही जारी की जा चुकी है और नोडल अधिकारी खतरे की सूचना मिलने पर इसके अनुसार कदम उठाएंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फर्जी कॉल के मामले में की जाने वाली कानूनी कार्रवाई और बम की धमकी के मामले में पालन किए जाने वाले दिशानिर्देशों को पिछले साल जुलाई में स्पष्ट किया गया था।
शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में पूर्व में कहा था कि स्कूलों में सुरक्षा के मामलों में उसकी ‘‘शून्य-सहिष्णुता नीति’’ है और उसके अधिकारी आपदाओं से निपटने के लिए दिशानिर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होगी।
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