नयी दिल्ली, सात जनवरी वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने मंगलवार को वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियों से नियमों का कड़ाई से अनुपालन करते हुए वित्तीय उद्योग के लिए लगातार नवीन समाधान देने का आग्रह किया।
सचिव की अध्यक्षता में यह बैठक हुई। इसमें स्टार्टअप और फिनटेक क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक का मकसद वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए खुले रूप से विचारों का आदान-प्रदान करना था।
उन्होंने बैठक के दौरान कहा कि सरकार ने फिनटेक के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए विभिन्न कदम उठाये हैं।
वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘यह देखा गया है कि आधार, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और एईपीएस (आधार युक्त भुगतान प्रणाली) ने फिनटेक क्षेत्रों के लिए चीजों को आसान बनाया है। इसी तरह, नियामकीय सैंडबॉक्स, फिनटेक रिपॉजिटरी आदि ने भारत में फिनटेक परिवेश को सुविधाजनक बनाया है।’’
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी कहा कि उनकी ओर से विभिन्न पहल की गई हैं। इनमें सुरक्षित और गोपनीय तरीके से आधारभूत जानकारी हासिल करने के लिए एक उभरती हुई तकनीक और फिनटेक रिपॉजिटरी विकसित करना और यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) पेश करना शामिल है।
बयान में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से यूएलआई प्लेटफॉर्म पर शामिल होने, फिनटेक परिवेश के साथ नियमित बातचीत करने और अपने नियामकीय सैंडबॉक्स ढांचे में वीडियो-आधारित केवाईसी परियोजनाओं पर भी काम करने का आग्रह किया है।
नागराजू ने कहा कि भारत के स्टार्टअप और फिनटेक क्षेत्र की तीव्र वृद्धि को देखते हुए डिजिटल भुगतान बुनियादी ढांचा वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्योग के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने ग्रामीण और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में विशेष रूप से यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान व्यवस्था में सुधार करने और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए डिजिटल विकास के आधार पर कर्ज देने को प्रोत्साहित करने की जरूरत बताई।
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