मुंबई, तीन सितम्बर देश का रत्न और आभूषण निर्यात चालू वित्त वर्ष में 25-30 प्रतिशत घटने का अनुमान है। इसकी वजह कोविड-19 संकट के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से पहली तिमाही में कारोबार नहीं होना है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
जीजेईपीसी के अध्यक्ष कोलिन शाह ने कहा, ‘‘महामारी फैलने पर अंकुश लगाने के लिए भारत के साथ-साथ आयातक देशों में पूर्ण लॉकडाउन के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान कारोबार पूरी तरह बंद रहा।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘जैसे-जैसे हालात सुधर रहे हैं, निर्यात में सुधार हो रहा है। लेकिन पहली तिमाही के कारोबार के ठप रहने का पूरे वित्त वर्ष पर असर पड़ेगा।’’
बिना जड़े हीरों को लेकर पहली वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक के उद्घाटन के बाद संवाददाताओं से संवाद में उन्होंने कहा कि विनिर्माण प्रतिबंधों के कारण अगली दो तिमाहियां चुनौतीपूर्ण बनी रहेंगी।
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उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर हमें वित्त वर्ष 2020-21 में रत्न और आभूषण निर्यात में 25-30 प्रतिशत गिरावट की संभावना दिख रही है।’’
उन्होंने कहा कि बाजार में मांग है लेकिन इस साल विनिर्माण संबंधी चुनौती रहेगी क्योंकि बहुत सारे कामगार अभी भी काम पर नहीं लौटे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि हम मांग के अनुरूप विनिर्माण तेज कर सकते हैं।’’
महामारी के बीच राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, आभूषण विनिर्माता 25 प्रतिशत क्षमता के साथ काम कर रहे थे।
शाह ने कहा कि बृहस्पतिवार से इस सीमा को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके लिए विनिर्माताओं को अन्य सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करना ही होगा।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुरेश कुमार ने कहा कि खरीदारों और विक्रेताओं की यह पहली बार हो रही वर्चुअल बैठक परिषद के लिए एक नई शुरुआत होगी।
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