जरुरी जानकारी | ईवी कंपनियां मौजूदा सब्सिडी व्यवस्था खत्म होने के बाद सब्सिडी हटाने पर सहमतः गोयल

नयी दिल्ली, तीन जनवरी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ शुक्रवार को हुई बैठक में उपस्थित इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनियों ने इस पर सहमति जताई कि मौजूदा सब्सिडी व्यवस्था खत्म होने के बाद उन्हें सब्सिडी की जरूरत नहीं रहेगी।

ईवी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने बैटरी की अदला-बदली और चार्जिंग सुविधाओं से जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित मुद्दों पर यहां गोयल के साथ विचार-विमर्श किया।

गोयल ने बैठक के बाद कहा कि ईवी क्षेत्र में कार्यरत कंपनियां अपने खुद के कारोबारी मॉडल चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।

उन्होंने कहा कि बैटरी बदलने के लिए सहयोग करना और संसाधन साझा करना या अपनी बैटरी वाले वाहनों को ही बेचने का निर्णय पूरी तरह से कंपनियों पर निर्भर करता है।

गोयल ने संवाददाताओं से कहा, "सभी इस बात पर एकमत थे कि मौजूदा सब्सिडी व्यवस्था खत्म होने के बाद उनमें से किसी को भी सब्सिडी बढ़ाने की जरूरत नहीं होगी। हरेक क्षेत्र में एक या दूसरा मॉडल है जो इसे आत्मनिर्भर बनाता है और आगे सब्सिडी की जरूरत नहीं होती है।"

उन्होंने कहा, "आज इलेक्ट्रिक परिवहन उड़ान भरने को तैयार है। उन्हें नए प्रोत्साहन या सब्सिडी की जरूरत नहीं है। मौजूदा सब्सिडी कुछ और समय के लिए उपलब्ध है और इससे उन्हें ईवी परिवेश को उचित शुरुआत देने में मदद मिलेगी।"

गोयल ने बैटरी चार्जिंग बुनियादी ढांचे पर हुई चर्चा के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) ने पेट्रोल पंपों पर कई ईवी चार्जिंग एवं बैटरी अदला-बदली सुविधाओं की स्थापना के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं। इससे पेट्रोल पंपों या गैस स्टेशनों पर चार्जिंग ढांचा खड़ा करना आसान होता है।

मंत्रालय ने उन दिशानिर्देशों को स्व-निगरानी और स्व-प्रमाणित बनाने का सुझाव दिया है ताकि जो कोई भी चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर रहा है, वह उनका स्व-नियमन कर सके।

गोयल ने कहा, "हम निवासी कल्याण संघों (आरडब्ल्यूए), वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, कार्यालय परिसरों को भी इलेक्ट्रिक चार्जिंग उपकरण रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं। चार्जिंग या बैटरी अदला-बदली व्यवस्था में वाहन कंपनियां निवेश करने को तैयार हैं।"

मंत्रालय ने उद्योग निकाय को ईवी के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाने का भी सुझाव दिया। इसके अलावा एक ऐसा ऐप या टूल विकसित करने का भी सुझाव रखा गया जिसके जरिये नजदीकी चार्जिंग स्टेशन की जानकारी मिल सके।

उन्होंने कहा, "हमने इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े सुरक्षा मानकों पर भी ध्यान केंद्रित किया। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने दोपहिया वाहनों के लिए मसौदा मानक जारी कर दिया है जिस पर छह जनवरी तक टिप्पणियां देने को कहा गया है।"

बीआईएस तिपहिया और चार-पहिया वाहनों के लिए मानकों को पहले ही अधिसूचित कर चुका है और अब वह दोपहिया वाहनों के लिए इसे अधिसूचित करेगा।

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने कंपनियों को बैटरी अदला-बदली सुविधा के लिए प्रोत्साहित किया है, उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह एक व्यावसायिक मामला है जिसे उपभोक्ताओं पर छोड़ देना चाहिए। यह उपभोक्ताओं की पसंद है। स्मार्ट उपभोक्ता स्मार्ट विकल्प चुनेंगे।"

उन्होंने कहा कि ईवी का इस्तेमाल करने से लागत घटने को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है।

पिछले साल मार्च में सरकार देश में वैश्विक ईवी विनिर्माताओं को आकर्षित करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन नीति लेकर आई थी। उस नीति में 50 करोड़ डॉलर के न्यूनतम निवेश के साथ देश में विनिर्माण इकाइयां लगाने वाली कंपनियों को शुल्क रियायतें देने का प्रावधान किया गया है।

सरकार ने फेम-2 योजना के तहत देश भर में 10,763 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है।

इसके अलावा सरकार 'पीएम ई-ड्राइव' योजना भी लेकर आई है जिसमें इलेक्ट्रिक बसों, ऑटो, ई-रिक्शा एवं ई-कार्ट और दोपहियों के लिए समर्थन देने का उल्लेख है।

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