लखनऊ, आठ जून उत्तर प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण से आठ और लोग की मौत के साथ सोमवार को संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढकर 283 पहुंच गयी जबकि 411 नए मामलों के साथ राज्य में अभी तक संक्रमित हुए लोगों की संख्या 10, 947 हो गई है।
प्रमुख सचिव :चिकित्सा एवं स्वास्थ्य: अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में कुल 283 मरीजों की मौत कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से हुई है। 4320 लोग उपचाराधीन हैं जबकि 6344 लोग उपचारित होकर अस्पतालों से छुटटी पा चुके हैं।
प्रसाद ने बताया कि रविवार को प्रदेश में 13, 236 नमूनों की जांच की गयी जो एक दिन में हुई सबसे ज्यादा जांच है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी कोशिश है कि बहुत जल्द हम इसे 15 हजार पर लेकर आयें।’’
उन्होंने बताया कि रविवार को ही पूल टेस्टिंग के माध्यम से पांच-पांच नमूनों के 1113 पूल लगाये गये, जिनमें से 113 पूल में संक्रमण की पुष्टि हुई। दस-दस नमूनों के कुल 183 पूल लगाये गये, जिनमें से 21 पूल संक्रमित हुए।
प्रमुख सचिव ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव घूमकर 13, 69, 136 प्रवासी श्रमिकों एवं कामगारों का परीक्षण किया, उनमें से 1299 लोग में कोविड-19 के लक्षण मिलने पर उनकी जांच की जा रही है।
उन्होंने बताया कि आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से प्राप्त अलर्ट के आधार पर अब तक ऐसे 67, 288 लोगों को फोन कर उनका हाल चाल पूछा गया और उन्हें सावधान किया गया।
प्रसाद ने बताया कि 151 लोगों ने अवगत कराया है कि वे संक्रमित हैं और किसी ना किसी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है जबकि 76 लोगों ने बताया कि वे पूर्णतया उपचारित होकर अस्पताल से छुटटी पा चुके हैं और 3245 लोगों ने बताया कि वे पृथकवास में हैं।
उन्होंने बताया कि हॉटस्पाट और गैर-हॉटस्पाट क्षेत्रों में अब तक 84, 62, 782 घरों में 4, 30, 90, 178 लोगों का परीक्षण किया गया है।
बताया कि जिन जिलों में हमारे प्रवासी श्रमिक और कामगार काफी अधिक संख्या में आये हैं, ऐसे 18 जिलों के चार-चार गांवों का चयन किया गया।
उन्होंने बताया कि ये जिले झांसी, कौशाम्बी, प्रयागराज, आजमगढ, बहराइच, बलरामपुर, बांदा, बस्ती, चित्रकूट, जालौन, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, महाराजगंज, मिर्जापुर, संत कबीर नगर, शाहजहांपुर, सिद्धार्थनगर और श्रावस्ती हैं।
प्रसाद ने बताया कि इन जिलों में चार-चार ऐसे गांवों का चयन किया गया है, जिनमें प्रवासी कामगार 50 या उससे अधिक संख्या में लौटे हैं और उन्हें लौटे हुए 15 दिन से अधिक का समय हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘वहां से हमने बीस—बीस या पच्चीस—पच्चीस लोगों का नमूना सैम्पल। ये वे लोग थे, जो उन गांवों के सामान्य निवासी हैं।''
उन्होंने कहा, ''हम ये देखना चाहते थे कि ग्राम निगरानी समितियों ने गृह पृथक-वास के लिए कितना प्रयास किया और प्रवासी कामगारों ने उसका कितना मजबूती से पालन किया।''
प्रमुख सचिव ने कहा, ''72 गांवों में नमूने लेकर जांच करायी गयी। इस बात की खुशी है कि जितने भी नमूने सामान्य नागरिकों के लिये गये, उनमें से कोई संक्रमित नहीं है, यानी कुल 1686 नमूनों की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आयी है।’’
उन्होंने कहा कि यह साबित करता है कि ग्राम निगरानी समितियों की भूमिका काफी अच्छी और सराहनीय रही। प्रवासी कामगारों ने भी अपने सामाजिक दायित्व को समझा और पृथक-वास का पालन किया।
प्रसाद ने बताया कि जब प्रवासी बहुत बड़ी संख्या में आ रहे थे तो हम देख रहे थे कि अधिक से अधिक मामले प्रवासियों के निकल रहे थे लेकिन अब प्रवासियों का आना लगभग समाप्त हो गया है। इस समय ज्यादा मामले पश्चिम उत्तर प्रदेश खासकर मेरठ में देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में आवश्यक है कि शहरी क्षेत्र के लोग सतर्क रहकर, सावधान रहकर संक्रमण से बचें और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचायें।
उन्होंने कहा, ''अब सारी गतिविधियां चूंकि खुल गयी हैं। गांवों में ग्राम निगरानी समितियां गृह पृथक-वास का पालन करा रही हैं लेकिन शहरों में आबादी अधिक होती है इसलिए एक दूसरे से मिलने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में शहरों की मोहल्ला निगरानी समितियों को भी उतनी ही मजबूती से कार्य करना होगा, जितनी मजबूती से ग्राम निगरानी समितियां कर रही हैं।''
प्रसाद ने कहा कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का 'कैरियर' मच्छर है लेकिन कोरोना वायरस का कैरियर मनुष्य है, जितना अधिक संपर्क बढेगा, उतना अधिक संक्रमण का खतरा होगा।
उन्होंने कहा कि सिविल डिफेंस और एनएसएस जैसी सामाजिक संस्थाएं भी लगातार लोगों को सतर्क करें तथा कोरोना से बचाव को लेकर अधिक से अधिक प्रचार करें ।
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