आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्व कुलपति और उनके परिवार के खिलाफ ED ने आरोपपत्र दाखिल किया

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल : बिहार की राजधानी पटना में स्थित मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और उनके परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने आरोपपत्र दाखिल किया है. प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, उनके बेटे डॉ. अशोक कुमार, भाई अवधेश प्रसाद और उनसे कथित रूप से जुड़े प्यारी देवी स्मारक कल्याण ट्रस्ट के खिलाफ अभियोजन पक्ष ने शिकायत दर्ज की है. संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि 15 अप्रैल को पटना में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत के समक्ष आरोपपत्र दाखिल किया गया और अदालत ने उसी दिन संज्ञान लिया.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं किया जा सका. धन शोधन का मामला बिहार पुलिस की विशेष सतर्कता इकाई द्वारा पूर्व कुलपति एवं अन्य के खिलाफ की गई जांच से सामने आया. विशेष सतर्कता इकाई ने आरोप लगाया कि राजेंद्र प्रसाद ने सितंबर 2019 से नवंबर 2021 के बीच बिहार के बोधगया में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में काम किया और इस अवधि के दौरान 2,66,99,591 रुपये (2.66 करोड़ रुपये से अधिक) की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की. प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि जांच में पाया गया कि डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इन पैसों का इस्तेमाल अपने बेटे अशोक कुमार और आरपी कॉलेज के नाम पर ‘नकद देकर’ पांच संपत्तियां हासिल करने के लिए किया, जिसका प्रतिनिधित्व उनके भाई अवधेश प्रसाद करते हैं. जांच एजेंसी ने कहा कि आर पी कॉलेज के नाम पर अर्जित संपत्तियों को प्यारी देवी मेमोरियल वेलफेयर ट्रस्ट को पट्टे पर ‘हस्तांतरित‘ किया गया था, साथ ही कहा कि ट्रस्ट का स्वामित्व प्रसाद के परिवार के पास है. यह भी पढ़ें : Delhi: सीलमपुर में नाबालिग की हत्या पर मनोज तिवारी ने अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी का दिया भरोसा

इसमें दावा किया गया है कि ट्रस्ट के बैंक खाते में कुछ ‘नकदी’ जमा की गई थी, ताकि इसे इसके आय के रूप में दिखाया जा सके. प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया कि डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपने परिवार के सदस्यों को शामिल करते हुए एक सुनियोजित साजिश की है, ताकि अपराध की आय से अर्जित संपत्तियों को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश किया जा सके, इसके लिए परिवार के स्वामित्व वाले ट्रस्ट का इस्तेमाल किया जा सके. एजेंसी ने इससे पहले जांच के तहत 64.53 लाख रुपये की संपत्ति कुर्क की थी.