नयी दिल्ली, चार दिसंबर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि 640 करोड़ रुपये की साइबर ठगी से जुड़ी धनशोधन जांच के तहत यहां दो चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) और एक क्रिप्टोकरेंसी कारोबारी को गिरफ्तार किया गया है।
उसने बताया कि 28 नवंबर को बिजवासन में निदेशालय के तलाशी दल पर ‘हमला करने को लेकर एक चौथे व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है जो एक अन्य ‘फरार’ चार्टर्ड एकाउटेंट का भाई है। इस दल ने धनशोधन जांच के तहत 28 नवंबर को इस चार्टर्ड एकाउटेंट के फार्म हाउस पर छापा मारा था।
उसने बताया कि ईडी ने 28-30 नवंबर के दौरान दिल्ली, गुरुग्राम, झुंझुनू, हैदराबाद, पुणे और कोलकाता में 13 परिसरों की तलाशी ली थी तथा 47 लाख रुपये की ‘बिना हिसाब वाली’ नकदी तथा 1.3 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी जब्त की थी।
इस केंद्रीय एजेंसी ने एक बयान में बताया कि यह धनशोधन जांच दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज की गयी दो प्राथमिकियों पर आधारित है। ये प्राथमिकियां सट्टेबाजी, जुआ, अंशकालिक नौकरियां तथा अन्य साइबर ठगी के उपायों से अर्जित किये गये 640 करोड़ रुपये के संदर्भ में साइबर ठगी के आरोपों की जांच के वास्ते दर्ज की गयी थीं।
ईडी ने कहा कि भोले-भाले लोगों से ठगी गयी धनराशि की हेराफेरी की गयी जिसमें ‘लेयरिंग फंड’ प्रविधि और 5000 ‘म्यूल’ भारतीय बैंक खातों की मदद ली गयी । बाद में उसे संयुक्त अरब अमीरात के भुगतान मंच ‘पीवाईवाईपीएल’ पर अपलोड कर दिया गया।
दरअसल ‘लेयरिंग फंड’ के तहत पैसों का एक खाते से दूसरे खाते या एक बैंकिंग या वित्तीय संगठन से दूसरे में इस तरह अंतरण किया जाता है जिसमें अधिकारियों के लिए उसके प्रारंभिक स्रोत का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
‘म्यूल’ बैंक खाता किसी दूसरे व्यक्ति का ऐसा खाता होता है जिसका इस्तेमाल खाताधारक की अनभिज्ञता में इस तरह की गड़बड़ियों के लिए किया जाता है।
ईडी ने कहा कि ‘साइबर ठगी से मिली रकम’ का एक हिस्सा दुबई में विभिन्न बैंकों की ओर से जारी ‘डेबिट’ एवं ‘क्रेडिट’ कार्ड के माध्यम से निकाला गया।
ईडी का कहना है कि यह कथित घोटाला कुछ चार्टर्ड एकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरी, क्रिप्टो करेंसी कारोबारियों की आपसी मिलीभगत से चल रहा था और ये लोग कालाधन को सफेद बनाने के लिए मिलकर काम करते थे।
ईडी ने कहा कि तलाशी के दौरान दो सीए-- अजय यादव और विपिन यादव तथा क्रिप्टोकरेंसी कारोबारी जितेंद्र कासवान को गिरफ्तार किया गया।
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