नयी दिल्ली, सात जून दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा सेंट स्टीफन्स कॉलेज के साथ लंबे समय से चले आ रहे नीति कार्यान्वयन विवादों को सुलझाने के लिए समिति गठित किये जाने के करीब तीन महीने बीतने के बावजूद दोनों पक्षों के बीच कोई बैठक नहीं हुई है। इससे कॉलेज द्वारा विश्वविद्यालय के नियमों की अवहेलना के आरोपों को सुलझाने के प्रयासों में देरी हो रही है। समिति के एक सदस्य ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सेंट स्टीफन्स ने पिछले साल अगस्त में अपने स्नातक कार्यक्रमों में घोषित सीट क्षमता से अधिक प्रवेश चाहने वाली 12 ‘एकल बालिका’ छात्राओं के आवेदनों को अस्वीकार कर दिया था।
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने पहले अपने सभी महाविद्यालयों को निर्देश दिया था कि वे सीटों को अधिकतम भरने के लिए अपनी सीट सीमा से अधिक छात्रों को प्रवेश दें।
प्रभावित छात्राओं के अभिभावकों ने इस मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाला खटखटाया था और काफी देरी के बाद कॉलेज ने छात्राओं को प्रवेश दिया और न्यायालय के आदेश पर उन्हें कक्षाओं में उपस्थित होने की अनुमति दी।
इस घटना के बाद पिछले वर्ष अक्टूबर में डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने कॉलेज के प्राचार्य जॉन वर्गीस के साथ बातचीत करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की, क्योंकि कॉलेज ने स्नातक स्तर पर प्रवेश के लिए डीयू के नए शुरू किए गए ‘एकल बालिका’ कोटे के तहत आवेदन करने वाली एक दर्जन से अधिक छात्राओं को प्रवेश देने से इनकार कर दिया था।
समिति के सदस्यों ने कहा कि गंभीर मुद्दा होने के बावजूद कोई बैठक नहीं हुई है क्योंकि डीयू ने उन्हें बुलाने के लिए कोई आधिकारिक निर्देश जारी नहीं किया है। इससे विश्वविद्यालय के नियमों से जुड़ी चिंताओं को हल करने के प्रयासों में और देरी हो रही है।
समिति के एक सदस्य ने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय ने बैठक बुलाने के लिए कोई औपचारिक निर्देश जारी नहीं किया है, इसलिए इस मोर्चे पर कोई प्रगति नहीं हुई है। आधिकारिक आदेश के बिना प्रक्रिया शुरू करना मुश्किल है।’’
एक अन्य सदस्य ने कहा, ‘‘चुनाव के मद्देनजर ऐसा लगता नहीं कि निकट भविष्य में कोई बैठक होगी।’’
सेंट स्टीफन्स के प्राचार्य वर्गीस ने कहा कि कॉलेज को समिति के गठन के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘हमें प्रवेश संबंधी चिंताओं के समाधान के लिए किसी बैठक या प्रस्तावित बैठक के बारे में विश्वविद्यालय से अभी तक कोई नोट, ईमेल या पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।’’
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