नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर उत्तरी दिल्ली नगर निगम संचालित अस्पतालों में सेवाएं प्रभावित हैं क्योंकि बकाया वेतन की मांग को लेकर डॉक्टरों का आंदोलन बुधवार को भी जारी रहा। हालांकि, नगर निकाय ने ‘‘सभी बकाये का भुगतान कर दिए जाने’’ की बात कही है।
म्युनिसिपल कार्पोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन (एमसीडीए) से जुड़े वरिष्ठ डॉक्टर सोमवार को आकस्मिक अवकाश पर चले गए थे और मंगलवार को उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी।
उत्तरी दिल्ली के महापौर जयप्रकाश ने बुधवार को डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की और कहा कि इससे मरीजों को परेशानी हो रही है।
जयप्रकाश ने मंगलवार दोपहर में दो अन्य नगर निगमों के अपने समकक्षों के साथ एक संवाददाता सम्मेलन किया था और बाद में एक बयान में दावा किया था कि ‘‘उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने आज डॉक्टरों का सितंबर तक का बकाया वेतन, सफाई कर्मचारियों और मच्छरों की मौजूदगी वाले स्थानों की जांच करनेवाले कर्मियों का इस वर्ष अगस्त तक का तथा नर्सों का जुलाई तक का और स्वास्थ्यकर्मियों का जून तक का बकाया वेतन जारी कर दिया है।’’
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एमसीडीए महासचिव मारुति सिन्हा ने मंगलवार को कहा था, ‘‘वेतन नहीं आया है, इसलिए हमारी हड़ताल अब भी जारी है।’’
हिंदू राव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर सितंबर के अंतिम सप्ताह से अपने बकाये वेतन को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और पिछले कुछ दिनों से उनके पांच-पांच सहयोगी क्रमित भूख हड़ताल पर बैठ रहे हैं। बुधवार को भी उन्होंने विरोध जारी रखा।
एक निकाय अधिकारी ने कहा कि उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश और एनडीएमसी स्थायी समिति के अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों से मिलने के लिए हिंदू राव अस्पताल जाएंगे।
निगम अस्पतालों के वरिष्ठ स्थायी चिकित्सकों के एसोसिएशन एमसीडीए की स्थापना 1974 में की गई थी और इसके लगभग 1,200 सदस्य हैं। इसमें अन्य दो नगर निगमों - दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली द्वारा संचालित अस्पतालों के डॉक्टर भी शामिल हैं।
लगभग 250 डॉक्टर हिंदू राव अस्पताल के आरडीए के अधीन हैं, जो कि रेजिडेंट डॉक्टरों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।
उत्तरी नगर निगम के तहत अन्य प्रमुख अस्पतालों में कस्तूरबा अस्पताल, राजेन बाबू तपेदिक अस्पताल, श्रीमती गिरधारी लाल मातृत्व अस्पताल शामिल हैं।
चूंकि ये डॉक्टर मरीजों को नहीं देख रहे हैं इसलिए हिंदू राव अस्पताल और अन्य अस्पतालों के कई मरीजों को दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ा।
सिन्हा ने कहा कि हो सकता है कि प्राधिकारियों ने संविदा डॉक्टरों की सेवाएं ली हो।
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