Tokyo Olympics 2020: पीवी सिंधू ने बताया- सेमीफाइनल में हारने के बाद निराश थी, कोच ने प्रेरित किया

रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और विश्व चैंपियन सिंधू से जब सेमीफाइनल में हार के बाद की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, ‘‘सेमीफाइनल में हार के बाद मैं निराश थी क्योंकि मैं स्वर्ण पदक के लिए चुनौती पेश नहीं कर पाई. कोच पार्क ने इसके बाद मुझे समझाया कि अगले मैच पर ध्यान दो.

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Tokyo Olympics 2020: पीवी सिंधू ने बताया- सेमीफाइनल में हारने के बाद निराश थी, कोच ने प्रेरित किया

रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और विश्व चैंपियन सिंधू से जब सेमीफाइनल में हार के बाद की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, ‘‘सेमीफाइनल में हार के बाद मैं निराश थी क्योंकि मैं स्वर्ण पदक के लिए चुनौती पेश नहीं कर पाई. कोच पार्क ने इसके बाद मुझे समझाया कि अगले मैच पर ध्यान दो.

एजेंसी न्यूज Bhasha|
Tokyo Olympics 2020: पीवी सिंधू ने बताया- सेमीफाइनल में हारने के बाद निराश थी, कोच ने प्रेरित किया
पीवी सिंधु (Photo Credits: Twitter)

टोक्यो: ओलंपिक (Olympic) में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी पीवी सिंधू (PV Sindhu) ने सोमवार को कहा कि बैडमिंटन (Badminton) महिला एकल सेमीफाइनल में हार के बाद वह निराश थी लेकिन कोच पार्क तेइ-सांग (Park Tae-sang) ने उन्हें प्रेरित किया कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है और चौथे स्थान पर रहने से बेहतर है कि कांस्य पदक (Bronze Medal) जीतकर स्वदेश लौटो. Tokyo Olympics 2020: पीवी सिंधु ने भारत को दिलाया दूसरा मेडल, चीन की He Bing Jiao को हराकर जीता कांस्य पदक

सिंधू को महिला एकल सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 18-21, 12-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी लेकिन रविवार को वह कांस्य पदक के प्ले आफ में चीन की आठवीं वरीय ही बिंग जियाओ को सीधे गेम में 21-13, 21-15 से हराकर पदक जीतने में सफल रही.

रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और विश्व चैंपियन सिंधू से जब सेमीफाइनल में हार के बाद की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, ‘‘सेमीफाइनल में हार के बाद मैं निराश थी क्योंकि मैं स्वर्ण पदक के लिए चुनौती पेश नहीं कर पाई. कोच पार्क ने इसके बाद मुझे समझाया कि अगले मैच पर ध्यान दो. चौथे स्थान पर रहकर खाली हाथ स्वदेश लौटने से बेहतर है कि कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवांवित करो.’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोच के शब्दों ने मुझे प्रेरित किया और मैंने अपना पूरा ध्यान कांस्य पदक के मुकाबले पर लगाया. मैच जीतने के बाद पांच से 10 सेकेंड तक मैं सब कुछ भूल गई थी. इसके बाद मैंने खुद को संभाला और जश्न मनाते हुए चिल्लाई.’’

सिंधू से जब रियो ओलंपिक से टोक्यो ओलंपिक के बीच के पांच साल के सफर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव देखे, जीत मिली तो हार का भी सामना करना पड़ा लेकिन वह मजबूत बनकर उभरी.

रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधू ने कहा, ‘‘पिछले पांच साल में पूरा खेल बदल गया, मैंने कुछ मुकाबले गंवाए तो कुछ मैचों में जीत भी दर्ज की. मैंने इस दौरान काफी अनुभव हासिल किया और विश्व चैंपियन भी बनी.’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले एक साल से अधिक समय में महामारी (कोविड-19) के कारण स्थिति पूरी तरह बदल गई. काफी लोग इससे प्रभावित हुए. काफी टूर्नामेंट रद्द हो गए लेकिन इस दौरान मुझे अपने खेल पर अधिक काम करने का मौका भी मिला जो टूर्नामेंटों के दौरान संभव नहीं हो पाता. मैंने नई चीजें सीखी और इस दौरान मैंने कोच पार्क के साथ प्रत्येक दिन अभ्यास किया.’’

सिंधू ने जब हैदराबाद के गचीबाउली स्टेडियम स्टेडियम को छोड़कर लंदन में ट्रेनिंग करने का फैसला किया था तो काफी विवाद हुआ था और भारतीय खिलाड़ी ने कहा कि अगर आपको बेहतर जगह ट्रेनिंग का मौका मिल रहा है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है.

दुनिया की सातवें नंबर की भारतीय खिलाड़ी ने कहा, ‘‘लंदन में जहां मैं ट्रेनिंग कर रही थी वहां का स्टेडियम बड़ा है और वहां के हालात भी तोक्यो से मिलते जुलते हैं इसलिए मैंने वहां ट्रेनिंग करने का फैसला किया और इसका मुझे फायदा भी मिला. अगर आपको बेहतर जगह ट्रेनिंग का मौका मिलता है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. भारतीय बैडमिंटन संघ ने मेरा पूरा समर्थन किया. वहां मुझे ड्रिफ्ट का काफी अभ्यास करने का मौका मिला जिससे मुझे काफी फायदा हुआ.’’

सिंधू ने रियो ओलंपिक से टोक्यो ओलंपिक के बीच तीन कोचों के साथ काम किया और उन्होंने कहा कि प्रत्येक कोच की शैली अलग थी और उन्हें सभी से कुछ ना कुछ सीखने को मिला.

सिंधू ने कहा, ‘‘मैं कोई नई खिलाड़ी नहीं थी कि किसी नए कोच के साथ काम करने में सामंजस्य नहीं बैठा पाऊं. मेरे पास कौशल और तकनीक थी. बस इसे निखारना था. प्रत्येक कोच की अपनी अलग शैली थी और मैंने सभी से कुछ ना कुछ सीखा. यह कोच से सीखने और उस सीख को लागू करके फायदा उठाने से जुड़ा मामला है. अगर आपके पास कौशल और तकनीक है तो फिर आपको सामंजस्य बैठाने में परेशानी नहीं होती.’’

सिंधू से जब पूछा गया कि क्या रियो में रजत और टोक्यो में कांस्य के बाद उनकी नजरें पेरिस 2024 खेलों में स्वर्ण पदक पर हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘पेरिस खेलों में तीन साल का समय है. मैं अपनी इस जीत का जश्न मनाना चाहती हूं. लेकिन हां, निश्चित तौर पर पेरिस खेलों में स्वर्ण पदक जीते के लक्ष्य के साथ उतरूंगी.’’

कोच पार्क के साथ रिश्तों पर सिंधू ने कहा कि वह दक्षिण कोरिया के इस कोच को पहले से जानती थी इसलिए उनके साथ काम करने में उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पार्क को तब से जानती हूं जब वे दक्षिण कोरिया की टीम के साथ थे इसलिए उनके साथ काम करने में कोई परेशानी नहीं हुई. हम पिछले डेढ़ साल से साथ हैं और आगे भी इस साझेदारी को जारी रखना चाहते हैं.’’

सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की दुनिया की 10वें नंबर की भारतीय जोड़ी ग्रुप चरण में तीन में से दो मुकाबले जीतने के बावजूद नॉकआउट में जगह बनाने में विफल रही लेकिन भारतीय बैडमिंटन संघ के महासचिव अजय सिंघानिया ने कहा कि इस जोड़ी ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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पीवी सिंधु (Photo Credits: Twitter)

टोक्यो: ओलंपिक (Olympic) में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी पीवी सिंधू (PV Sindhu) ने सोमवार को कहा कि बैडमिंटन (Badminton) महिला एकल सेमीफाइनल में हार के बाद वह निराश थी लेकिन कोच पार्क तेइ-सांग (Park Tae-sang) ने उन्हें प्रेरित किया कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है और चौथे स्थान पर रहने से बेहतर है कि कांस्य पदक (Bronze Medal) जीतकर स्वदेश लौटो. Tokyo Olympics 2020: पीवी सिंधु ने भारत को दिलाया दूसरा मेडल, चीन की He Bing Jiao को हराकर जीता कांस्य पदक

सिंधू को महिला एकल सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 18-21, 12-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी लेकिन रविवार को वह कांस्य पदक के प्ले आफ में चीन की आठवीं वरीय ही बिंग जियाओ को सीधे गेम में 21-13, 21-15 से हराकर पदक जीतने में सफल रही.

रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और विश्व चैंपियन सिंधू से जब सेमीफाइनल में हार के बाद की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, ‘‘सेमीफाइनल में हार के बाद मैं निराश थी क्योंकि मैं स्वर्ण पदक के लिए चुनौती पेश नहीं कर पाई. कोच पार्क ने इसके बाद मुझे समझाया कि अगले मैच पर ध्यान दो. चौथे स्थान पर रहकर खाली हाथ स्वदेश लौटने से बेहतर है कि कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवांवित करो.’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोच के शब्दों ने मुझे प्रेरित किया और मैंने अपना पूरा ध्यान कांस्य पदक के मुकाबले पर लगाया. मैच जीतने के बाद पांच से 10 सेकेंड तक मैं सब कुछ भूल गई थी. इसके बाद मैंने खुद को संभाला और जश्न मनाते हुए चिल्लाई.’’

सिंधू से जब रियो ओलंपिक से टोक्यो ओलंपिक के बीच के पांच साल के सफर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव देखे, जीत मिली तो हार का भी सामना करना पड़ा लेकिन वह मजबूत बनकर उभरी.

रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधू ने कहा, ‘‘पिछले पांच साल में पूरा खेल बदल गया, मैंने कुछ मुकाबले गंवाए तो कुछ मैचों में जीत भी दर्ज की. मैंने इस दौरान काफी अनुभव हासिल किया और विश्व चैंपियन भी बनी.’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले एक साल से अधिक समय में महामारी (कोविड-19) के कारण स्थिति पूरी तरह बदल गई. काफी लोग इससे प्रभावित हुए. काफी टूर्नामेंट रद्द हो गए लेकिन इस दौरान मुझे अपने खेल पर अधिक काम करने का मौका भी मिला जो टूर्नामेंटों के दौरान संभव नहीं हो पाता. मैंने नई चीजें सीखी और इस दौरान मैंने कोच पार्क के साथ प्रत्येक दिन अभ्यास किया.’’

सिंधू ने जब हैदराबाद के गचीबाउली स्टेडियम स्टेडियम को छोड़कर लंदन में ट्रेनिंग करने का फैसला किया था तो काफी विवाद हुआ था और भारतीय खिलाड़ी ने कहा कि अगर आपको बेहतर जगह ट्रेनिंग का मौका मिल रहा है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है.

दुनिया की सातवें नंबर की भारतीय खिलाड़ी ने कहा, ‘‘लंदन में जहां मैं ट्रेनिंग कर रही थी वहां का स्टेडियम बड़ा है और वहां के हालात भी तोक्यो से मिलते जुलते हैं इसलिए मैंने वहां ट्रेनिंग करने का फैसला किया और इसका मुझे फायदा भी मिला. अगर आपको बेहतर जगह ट्रेनिंग का मौका मिलता है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. भारतीय बैडमिंटन संघ ने मेरा पूरा समर्थन किया. वहां मुझे ड्रिफ्ट का काफी अभ्यास करने का मौका मिला जिससे मुझे काफी फायदा हुआ.’’

सिंधू ने रियो ओलंपिक से टोक्यो ओलंपिक के बीच तीन कोचों के साथ काम किया और उन्होंने कहा कि प्रत्येक कोच की शैली अलग थी और उन्हें सभी से कुछ ना कुछ सीखने को मिला.

सिंधू ने कहा, ‘‘मैं कोई नई खिलाड़ी नहीं थी कि किसी नए कोच के साथ काम करने में सामंजस्य नहीं बैठा पाऊं. मेरे पास कौशल और तकनीक थी. बस इसे निखारना था. प्रत्येक कोच की अपनी अलग शैली थी और मैंने सभी से कुछ ना कुछ सीखा. यह कोच से सीखने और उस सीख को लागू करके फायदा उठाने से जुड़ा मामला है. अगर आपके पास कौशल और तकनीक है तो फिर आपको सामंजस्य बैठाने में परेशानी नहीं होती.’’

सिंधू से जब पूछा गया कि क्या रियो में रजत और टोक्यो में कांस्य के बाद उनकी नजरें पेरिस 2024 खेलों में स्वर्ण पदक पर हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘पेरिस खेलों में तीन साल का समय है. मैं अपनी इस जीत का जश्न मनाना चाहती हूं. लेकिन हां, निश्चित तौर पर पेरिस खेलों में स्वर्ण पदक जीते के लक्ष्य के साथ उतरूंगी.’’

कोच पार्क के साथ रिश्तों पर सिंधू ने कहा कि वह दक्षिण कोरिया के इस कोच को पहले से जानती थी इसलिए उनके साथ काम करने में उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पार्क को तब से जानती हूं जब वे दक्षिण कोरिया की टीम के साथ थे इसलिए उनके साथ काम करने में कोई परेशानी नहीं हुई. हम पिछले डेढ़ साल से साथ हैं और आगे भी इस साझेदारी को जारी रखना चाहते हैं.’’

सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की दुनिया की 10वें नंबर की भारतीय जोड़ी ग्रुप चरण में तीन में से दो मुकाबले जीतने के बावजूद नॉकआउट में जगह बनाने में विफल रही लेकिन भारतीय बैडमिंटन संघ के महासचिव अजय सिंघानिया ने कहा कि इस जोड़ी ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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