नयी दिल्ली, 18 नवंबर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा संचालित विद्यालयों के शिक्षकों ने प्रशासन पर वायु गुणवत्ता की बदतर स्थिति के बीच ऑनलाइन कक्षाएं लेने के लिए स्कूल आने को मजबूर करने एवं उनके स्वास्थ्य की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई)के 400 पार कर जाने के बाद रविवार को यहां चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रैप) के चौथे चरण को लागू करने की घोषणा की गयी। शहर में प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में है।
प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए किये जा रहे विभिन्न उपायों के तहत दिल्ली सरकार ने विद्यालयों को बंद रखने और विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने का आदेश दिया है।
हालांकि, शिक्षकों का आरोप है कि विद्यालयों को बंद रखने का आदेश केवल विद्यार्थियों के लिए है और उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं के लिए विद्यालय आना पड़ रहा है।
शिक्षकों के संगठन शिक्षक न्याय मंच ने इसकी आलोचना की और इस कदम को विरोधाभासी एवं खतरनाक बताया।
शिक्षक संघ के अध्यक्ष कुलदीप सिंह खत्री ने कहा, ‘‘ग्रैप-4 को लागू करने के बावजूद शिक्षकों को रोजाना स्कूल बुलाया जा रहा है, जिससे दो लाख से अधिक वाहन सड़कों पर आ रहे हैं और प्रदूषण की स्थिति और खराब हो रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ ....महामारी के दौरान घर से ही ऑनलाइन शिक्षण सफलतापूर्वक किया गया। अब ऐसा क्यों नहीं हो सकता?’’
मंच ने सरकार पर विद्यालयों को बंद रखने के उच्चतम न्यायालय के आदेश की गलत व्याख्या करने का आरोप लगाया।
खत्री ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार और निगम के अधिकारियों को अपने फैसलों की समीक्षा करने की जरूरत है। क्या शिक्षकों के फेफड़े फौलाद के बने हैं?’’
मंच ने चेतावनी दी, ‘‘ यदि सरकार इस मुद्दे का तत्काल समाधान नहीं करती है तो अध्यापक ऑनलाइन शिक्षण के वास्ते अपने निजी मोबाइल फोन का इस्तेमाल बंद कर देंगे और बिना मोबाइल फोन के विद्यालय आयेंगे।’’
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