मेघालय में अवैध कोयला ढुलाई रोकने के लिए सीएपीएफ की 10 कंपनी तैनात की जाएं: उच्च न्यायालय
Meghalaya High Court (Photo Credits Twitter)

शिलांग, 13 अप्रैल : मेघालय उच्च न्यायालय (Meghalaya High Court) ने राज्य में अवैध खनन के जरिए निकाले गए कोयले की ढुलाई पर लगाम कसने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस पूर्वोत्तर राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 10 कंपनी तैनात किए जाने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी की अगुवाई वाली उच्च न्यायालय की एक पीठ ने बुधवार को इस मामले पर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह कहा. अदालत ने कहा, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्रालय को गृह सचिव के जरिए उपयुक्त केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 10 कंपनी की तैनाती सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है, जिनकी कमान स्थानीय पुलिस के अधिकारी स्वतंत्र या संयुक्त रूप से संभालें.

इन अधिकारियों का चयन अदालत द्वारा किया जा सकता है. इन बलों की तैनाती राज्य में अवैध खनन के जरिए निकाले गए कोयले की अवैध ढुलाई पर रोक लगाने और सड़कों पर सतर्कता बरतने के मकसद से की जाएगी.’’ उसने केंद्रीय गृह मंत्रालय को मामले में सुनवाई की अगली तारीख पर सचिव के जरिए जवाब देने को कहा. भारत के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल डॉ. नितेश मोजिका ने अदालत को बताया कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) राज्य में कोयले के अवैध परिवहन की जांच के उद्देश्य से 10 कंपनी तैनात करने को तैयार नहीं है, क्योंकि यह काम सीआईएसएफ की सामान्य गतिविधियों के अंतर्गत नहीं आता. यह भी पढ़ें : आरटीआई कार्यकर्ता का काजीरंगा में गैंडों की संख्या बढ़ाकर बताने का दावा, अधिकारियों का इंकार

अदालत ने कहा कि वह विशेष रूप से सीआईएसएफ की तैनाती की बात नहीं कर रही, बल्कि वह इस तथ्य के मद्देनजर अवैधता की जांच के लिए अधिक स्वतंत्र बल चाहती है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल राज्य पुलिस के सीधे नियंत्रण में है. आदेश में कहा गया है, ‘‘इस अदालत का वास्तविक इरादा स्थानीय पुलिस को प्रक्रिया में शामिल नहीं करना है, क्योंकि वह मामले में निष्प्रभावी रही है. इस संबंध में सीआईएसएफ उपयुक्त बल हो सकता है.’’ अदालत ने कहा कि सीआईएसएफ की स्पष्ट अनिच्छा के बावजूद संबंधित बल अदालत के आदेश के तहत बाध्यकारी होगा. मामले में आगे की सुनवाई के लिए 27 अप्रैल की तारीख तय की गई है.