दिल्ली: पर्यावरण प्रभाव आकलन पर आपत्ति प्राप्त करने के लिए समय बढ़ाने की मांग, अदालत ने केंद्र से जवाब मांगा
दिल्ली हाईकोर्ट (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली, 26 जून: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र से उस याचिका पर जवाब देने के लिए कहा जिसमें पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना के संबंध में आपत्ति प्राप्त करने की अवधि कोविड-19 लॉकडाउन के खत्म होने तक बढ़ाए जाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी किया और इस बारे में 29 जून तक जवाब देने के लिए कहा कि क्या ईआईए 2020 के संबंध में आपत्ति और सलाह मांगने के लिए अवधि 30 जून तक बढ़ाने की उसकी आठ मई की अधिसूचना में कोई अस्पष्टता है.

याचिका पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ ने दायर की है जिसमें दावा किया गया है कि आठ मई की अधिसूचना कहती है कि आपत्ति मांगने की अवधि 60 दिन के लिए और बढ़ा दी गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि 60 दिन की प्रारंभिक अवधि कब शुरू हुई. इसमें कहा गया है, "यदि 60 दिन की अवधि मसौदा अधिसूचना की तारीख को शुरू होती है जो कि 23 मार्च 2020 है तो बढ़ाई गई अवधि की समापन तिथि 18 जुलाई 2020 होगी. यदि राजपत्र में अधिसूचना की तारीख (जो कि 11 अप्रैल 2020 है) को 60 दिन की अवधि की शुरुआत के रूप में लिया जाए तो विस्तारित अवधि की समापन तिथि नौ अगस्त 2020 होगी."

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याचिका में यह भी कहा गया है कि इसके साथ ही अधिसूचना में विस्तारित अवधि की समापन तिथि 30 जून 2020 बताए जाने से एक विरोधाभास भी उत्पन्न होता है क्योंकि इस तरीख के हिसाब से आठ मई को संबंधित अधिसूचना जारी किए जाने के बाद यह अवधि 60 दिन से कम की बैठती है.

इसमें दावा किया गया, ‘‘इस तरह, अवधि विस्तार संबंधी अधिसूचना अस्पष्ट और विरोधाभासी है.’’

पीठ ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख को स्पष्ट करे कि आपत्ति/सलाह देने की अंतिम तिथि क्या होगी.

याचिका में आग्रह किया गया है कि मसौदा अधिसूचना के बारे में जनता की राय जानने की अवधि 30 सितंबर या कोविड-19 लॉकडाउन जारी रहने तक विस्तारित की जानी चाहिए. इसमें दावा गया है कि ईआईए 2020 मसौदा ने मौजूदा पर्यावरण नियमों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है.

याचिका में कहा गया है, "मसौदा अधिसूचना में कुछ मामलों में जनता की राय को पूरी तरह नजरअंदाज करने, जनता की राय मांगने की अवधि 45 दिन से घटाकर 40 दिन करने और परियोजनाओं के लिए काम शुरू होने के बाद मंजूरी देने सहित मौजूदा नियमों में बदलाव करने जैसे कदम प्रस्तावित हैं."

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