नयी दिल्ली, 16 अप्रैल प्रवासी भारतीय नागरिकों (एनआरआई) का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था ने कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक व्यवधानों का हवाला देते हुए एनआरआई दर्जा हासिल करने के लिए भारत में 120 दिन रहने संबंधी कानून में बदलाव की मांग की है।
अमेरिका स्थित ‘ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ पीपुल ऑफ इंडियन ओरिजिन’ (जीओपीआईओ) ने कोरोना वायरस के कारण आर्थिक व्यवधानों का हवाला देते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस प्रावधान में बदलाव करने का आग्रह किया है।
इस प्रावधान को वित्त अधिनियम, 2020 के जरिये लागू किया गया था। संस्था ने कहा कि यह कई एनआरआई के लिए एक ‘‘जोरदार झटका’’ है।
वित्त मंत्री सीतारमण को लिखे पत्र में जीओपीआईओ के अध्यक्ष सन्नी कुलथकल ने कहा कि एनआरआई और भारतीय मूल के लोग (पीआईओ) भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के कारण विश्वव्यापी लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों में आई जबरदस्त व्यवधानों के मद्देनजर संस्था भारत सरकार से अपील करती है कि वह एनआरआई दर्जे के लिए 120 दिन की अवधि संबंधी संशोधित एनआरआई नियम को तत्काल निरस्त करे और इसे 182 दिन बनाये रखे, जो लंबे समय से चल रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पूरा देश सीमाओं के बंद होने, विमान सेवाएं और परिवहन के अन्य साधनों पर रोक लगने से कई परेशानियों का सामना कर रहा है। कई एनआरआई को महामारी के कारण उन पर लगाई गई यात्रा पाबंदियों की वजह से लंबे समय से भारत में ही रहना पड़ रहा है जिससे वे अपने एनआरआई दर्जा गंवा रहे है।’’
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