नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर: राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’श्रेणी में दर्ज किया गया लेकिन पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं की वजह से अगले दो दिन में इसमें गिरावट आने की आशंका है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के आंकड़ों के मुताबिक बृहस्पतिवार को दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पराली जलाने की 407 घटनाएं दर्ज की गई जिनमें से 229 मामले अकेले पंजाब से हैं. आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में बृहस्पतिवार को पराली जलाने की 98 घटनाएं और उत्तर प्रदेश में 68 घटनाएं दर्ज की गईं. जबकि एक दिन पहले इन पांचों राज्यों में कुल 272 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थी. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्वानुमान लगाने वाले निकाय ‘सफर’ के मुताबिक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मध्यम श्रेणी में रहा जिसमें पीएम-10 मुख्य प्रदूषक था.
सफर के मुताबिक, ‘‘शुष्क अवस्था होने की वजह से स्थानीय तौर पर धूल हवा में उड़ी जिसकी वजह से पीएम-10 का उच्च स्तर दर्ज किया गया. इसके अलावा रेगिस्तानी इलाकों से धूल कण उड़ के आने से भी इसके स्तर में वृद्धि हुई.’’ पुणे स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) द्वारा विकसित डीसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के मुताबिक दिल्ली में वेंटिलेशन इंडेक्स और हवा की गति अगले दो दिन औसत से कम रहेगी, जो प्रदूषकों के फैलने के लिए प्रतिकूल अवस्था है. आईआईटीएम ने बताया , हालांकि 17 और 18 अक्टूबर को बारिश की गतिविधियों की वजह से वायु गुणवत्ता में सुधार होगा क्योंकि यह प्रदूषण को हटाने के लिए अनुकूल अवस्था पैदा करते हैं. संस्थान ने बताया कि वायु गुणवत्ता कुल मिलाकर ‘मध्यम’ श्रेणी में रहने की संभावना है.
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उल्लेखनीय है कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं का दिल्ली के प्रदूषण में अहम योगदान होता है. आंकड़ों के मुताबिक छह अक्टूबर से अबतक पंजाब में पराली जलाने की 1,008 घटनाएं दर्ज की गई हैं जबकि हरियाणा में ऐसी घटनाओं की संख्या 463 है. इस अवधि में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में पराली जलाने की क्रमश: 260,35 और 16 घटनाएं दर्ज की गई हैं. जानकारी के मुताबिक 13 अक्टूबर को हरियाण में 91, पंजाब में 132 स्थानों और सटे पाकिस्तान में पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई. आईआईटीएम ने बताया कि दिल्ली के वातावरण में बृहस्पतिवार को मौजूद पीएम2.5 में 10 प्रतिशत योगदान पराली का था.
गौरतलब है कि पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी सैटलाइट रिमोर्ट सेंसिंग प्रणाली से की जाती है. आंकड़ों के मुतबिक 15 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की 764 घटनाएं हुई हैं जबकि पिछले साल इसी अवधि में 2,586 घटनाएं दर्ज की गई थी. आईएआरआई के मुताबिक वर्ष 2016 के दौरान पंजाब में पराली जलाने की 1.02 लाख घटनाएं दर्ज की गई थी जबकि वर्ष 2017 में 67,076, वर्ष 2018 में 59,684, वर्ष 2019 में एक अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच 50,738 और पिछले साल 79,093 घटनाएं दर्ज की गई थी.
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इसी प्रकार हरियाणा में वर्ष 2016 में पराली जलाने की 15,686 घटनाएं दर्ज की गई थी. राज्य में वर्ष 2017 में 13,085, वर्ष 2018 में 9,225, वर्ष 2019 में 6,364, वर्ष 2020 में 5,678 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई.
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