नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर दिल्ली की वायु गुणवत्ता शनिवार को "बहुत खराब" श्रेणी में पहुंच गई तथा आने वाले दिनों में प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के चलते इसके और भी खराब होने की आशंका है। यह जानकारी निगरानी एजेंसियों ने दी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, शहर का 24 घंटे का औसत गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 304 (बहुत खराब) रहा जबकि शुक्रवार को यह 261 (खराब) में था। बृहस्पतिवार को यह 256, बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 था।
पड़ोसी शहरों गाजियाबाद में एक्यूआई 291, फरीदाबाद में 272, गुरुग्राम में 252, नोएडा में 284 और ग्रेटर नोएडा में 346 दर्ज किया गया।
एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली के अनुसार, हवा की धीमी गति और रात के समय तापमान में गिरावट के कारण शहर की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई है। उसने कहा कि महीने के अंत तक हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रहने की आशंका है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिन में कहा था कि पड़ोसी राज्यों में अब तक दर्ज की गई पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में कम हैं और शहर के वायु प्रदूषण में इन घटनाओं से उठे धुएं का समग्र योगदान कम होने की उम्मीद है।
हालांकि उन्होंने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियों के चलते प्रदूषण बढ़ सकता है।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि अब तक केवल लगभग 2,500 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान ऐसे 5,000 मामले दर्ज किए गए थे।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, हर वर्ष पराली जलाने के सबसे अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार पंजाब में 2022 में पराली जलाने की 49,922 घटनाएं, 2021 में 71,304 घटनाएं एवं 2020 में 83,002 घटनाएं हुईं थीं।
हरियाणा में 2022 में पराली जलाने की 3,661 घटनाएं दर्ज की गईं जो 2021 में 6,987 और 2020 में 4,202 ऐसी घटनाएं हुई थीं।
प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के अलावा, पटाखों और धान की पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन के चलते, सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर में पहुंच जाती है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के विश्लेषण के अनुसार, एक नवंबर से 15 नवंबर तक राजधानी में प्रदूषण शीर्ष पर पहुंच जाता है जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर पहुंच जाती हैं।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता में आने वाले दिनों में भारी गिरावट होने जा रही है लेकिन सरकार को वायु प्रदूषण समस्या को कम करने की रणनीति तैयार करने में मदद करने वाला अहम आंकड़ा नदारद है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (सफर) जानकारी प्रदान नहीं कर रहा है और संबंधित अधिकारियों को इसका कारण नहीं पता है।
वेबसाइट का संचालन करने वाले भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के एक अधिकारी ने बताया, "हमें नहीं पता कि सफर के पोर्टल पर अपडेट क्यों रुक गए हैं।"
इसी तरह, ‘डिसिजन सपोर्ट सिस्टम’ के आंकड़े भी अब आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
हाल ही में, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण स्रोतों का पता लगाने के लिए दिल्ली सरकार के अध्ययन को डीपीसीसी अध्यक्ष अश्चिनी कुमार के आदेश पर "एकतरफा और मनमाने ढंग से" रोक दिया गया है।
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने सर्दियों के मौसम के दौरान राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए 15-सूत्री कार्ययोजना शुरू की थी जिसमें धूल, वाहन और औद्योगिक प्रदूषण पर लगाम लगाने पर विशेष बल दिया गया है।
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने शहर में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध की घोषणा कर दी थी।
सरकार ने नरेला, बवाना, मुंडका, वजीरपुर, रोहिणी, आर. के. पुरम, ओखला, जहांगीरपुरी, आनंद विहार, पंजाबी बाग, मायापुरी, द्वारका सहित पहचान किये गए अधिक प्रदूषण वाले कुल 13 जगहों के लिए प्रदूषण शमन योजना तैयार की है।
राय ने हाल में कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में मौजूदा, सर्वाधिक प्रदूषित 13 स्थानों के अलावा आठ और ऐसे स्थानों की पहचान की है तथा प्रदूषण के स्रोतों पर लगाम लगाने के लिए वहां विशेष टीम तैनात की जाएंगी।
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